अथर्ववेद - काण्ड 3/ सूक्त 26/ मन्त्र 2
सूक्त - अथर्वा
देवता - दक्षिणदिक् सकामा अविष्यवः
छन्दः - जगती
सूक्तम् - दिक्षु आत्मारक्षा सूक्त
ये॒स्यां स्थ दक्षि॑णायां दि॒श्य॑वि॒ष्यवो॒ नाम॑ दे॒वास्तेषां॑ वः॒ काम॒ इष॑वः। ते नो॑ मृडत॒ ते नोऽधि॑ ब्रूत॒ तेभ्यो॑ वो॒ नम॒स्तेभ्यो॑ वः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठये । अ॒स्याम् । स्थ । दक्षि॑णायाम् । दि॒शि । अ॒वि॒ष्यव॑: । नाम॑ । दे॒वा: । तेषा॑म् । व॒: । काम॑: । इष॑व:। ते । न॒: । मृ॒ड॒त॒ । ते । न॒: । अधि॑ । ब्रू॒त॒ । तेभ्य॑: । व॒: । नम॑: । तेभ्य॑: । व॒: । स्वाहा॑ ॥२६.२॥
स्वर रहित मन्त्र
येस्यां स्थ दक्षिणायां दिश्यविष्यवो नाम देवास्तेषां वः काम इषवः। ते नो मृडत ते नोऽधि ब्रूत तेभ्यो वो नमस्तेभ्यो वः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठये । अस्याम् । स्थ । दक्षिणायाम् । दिशि । अविष्यव: । नाम । देवा: । तेषाम् । व: । काम: । इषव:। ते । न: । मृडत । ते । न: । अधि । ब्रूत । तेभ्य: । व: । नम: । तेभ्य: । व: । स्वाहा ॥२६.२॥
अथर्ववेद - काण्ड » 3; सूक्त » 26; मन्त्र » 2
Subject - On our right hand side हमारे दक्षिण दिशा में
Word Meaning -
दक्षिण दाहिने हाथ में स्थित कार्य कुशलता परिश्रम का संकल्प हमारे जीवन में सुरक्षा प्रदान करने का मुख्य साधन है. विद्वत्जन- वेद विद्या से प्रेरणा लेकर , (कार्यकौशल-कृष्टी) तकनीकी विज्ञान का (अनुसंधान करें) और हमें उपदेश करें, जिस के लिए सदैव श्रद्धा पूर्वक नमन कर के यज्ञाहुति अर्पित करते हैं.और जो हमारे अभ्युदय मे बाधक शत्रु हैं उन्हें हम ईश्वरीय न्याय पर छोड़ते हैं.
In our right hand dwell the dexterous life support skills. The resolve to lead skilful action oriented life ensures self preservation and protection. Learned persons should research and develop science and technologies and educate us in their use. For this act of kindness we are ever grateful to them and make our offerings in Agnihotra dedicated to Him.