अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 13
शृङ्ग॑ उत्पन्न ॥
स्वर सहित पद पाठशृङ्ग॑: । उत्पन्न ॥१३०.१३॥
स्वर रहित मन्त्र
शृङ्ग उत्पन्न ॥
स्वर रहित पद पाठशृङ्ग: । उत्पन्न ॥१३०.१३॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 13
मन्त्र विषय - মনুষ্যপুরুষার্থোপদেশঃ
भाषार्थ -
[হে শত্রু!] তুমি (শৃঙ্গঃ) হিংসক (উৎপন্ন) জাত/উৎপন্ন॥১৩॥
भावार्थ - মনুষ্য নিজের মিত্রদের কখনো দুষ্টদের সাথে দেখা করতে দেবে না॥১৩, ১৪॥
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