Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 132

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 132/ मन्त्र 13
    सूक्त - देवता - प्रजापतिः छन्दः - दैवी जगती सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    त्रीण्यु॒ष्ट्रस्य॒ नामा॑नि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्रीणि । उ॒ष्ट्र॒स्य॒ । नामा॑नि ॥१३२.१३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्रीण्युष्ट्रस्य नामानि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    त्रीणि । उष्ट्रस्य । नामानि ॥१३२.१३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 132; मन्त्र » 13

    भाषार्थ -
    (উষ্ট্রস্য) প্রতাপীর [পরমাত্মার] (ত্রীণি) তিন (নামানি) নাম ॥১৩২.১৩॥

    भावार्थ - পরমাত্মার অনন্ত গুণ, কর্ম, স্বভাবের কারণে নাম দিয়ে গণনা করা যায় না, যে সব লোকেরা পরমেশ্বরের কেবল "হিরণ্য" আদি নাম বলে, তাঁরা শিশুর মতোই অল্প বুদ্ধিসম্পন্ন হয়॥১৩-১৬॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top