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ऋग्वेद मण्डल - 8 के सूक्त 29 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 8/ सूक्त 29/ मन्त्र 10
    ऋषिः - मनुर्वैवस्वतः कश्यपो वा मारीचः देवता - विश्वेदेवा: छन्दः - आर्चीस्वराड्गायत्री स्वरः - षड्जः

    अर्च॑न्त॒ एके॒ महि॒ साम॑ मन्वत॒ तेन॒ सूर्य॑मरोचयन् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अर्च॑न्तः । एके॑ । महि॑ । साम॑ । म॒न्व॒त॒ । तेन॑ । सूर्य॑म् । अ॒रो॒च॒य॒न् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अर्चन्त एके महि साम मन्वत तेन सूर्यमरोचयन् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अर्चन्तः । एके । महि । साम । मन्वत । तेन । सूर्यम् । अरोचयन् ॥ ८.२९.१०

    ऋग्वेद - मण्डल » 8; सूक्त » 29; मन्त्र » 10
    अष्टक » 6; अध्याय » 2; वर्ग » 36; मन्त्र » 10

    Meaning -
    Some of them sing great hymns of Sama and glorify their lord and thereby light the sun. (These are the Adityas or universal powers free from threefold suffering, or the ten pranas which strengthen the soul for worship of the supreme lord of life and thereby enlighten the soul.)

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