Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 13/ मन्त्र 53
    ऋषिः - उशना ऋषिः देवता - आपो देवताः छन्दः - ब्राह्मी पङ्क्तिः, ब्राह्मी जगती स्वरः - पञ्चमः, निषादः
    7

    अ॒पां त्वेम॑न्त्सादयाम्य॒पां त्वोद्म॑न्सादयाम्य॒पां त्वा॒ भस्म॑न्त्सादयाम्य॒पां त्वा॒ ज्योति॑षि सादयाम्य॒पां त्वाय॑ने सादयाम्यर्ण॒वे त्वा॒ सद॑ने सादयामि समु॒द्रे त्वा॒ सद॑ने सादयामि। सरि॒रे त्वा॒ सद॑ने सादयाम्य॒पां त्वा॒ क्षये॑ सादयाम्य॒पां त्वा॒ सधि॑षि सादयाम्य॒पां त्वा॒ सद॑ने सादयाम्य॒पां त्वा॑ स॒धस्थे॑ सादयाम्य॒पां त्वा॒ योनौ॑ सादयाम्य॒पां त्वा॒ पुरी॑षे सादयाम्य॒पां त्वा॒ पाथ॑सि सादयामि। गाय॒त्रेण॑ त्वा॒ छन्द॑सा सादयामि॒ त्रैष्टु॑भेन त्वा॒ छन्द॑सा सादयामि॒ जाग॑तेन त्वा॒ छन्द॑सा सादया॒म्यानु॑ष्टुभेन त्वा॒ छन्द॑सा सादयामि॒ पाङ्क्ते॑न त्वा॒ छन्द॑सा सादयामि॥५३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒पाम्। त्॒वा। एम॑न् सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम् त्वा॒ ओद्म॑न्। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। भस्म॑न्। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। ज्योति॑षि। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। अय॑ने। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒र्ण॒वे। त्वा॒। सद॑ने। सा॒द॒या॒मि॒। स॒मु॒द्रे। त्वा॒। सद॑ने। सा॒द॒या॒मि॒। स॒रि॒रे। त्वा॒। सद॑ने। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। क्षये॑। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। सधि॑षि। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। सद॑ने। सा॒द॒या॒मि। अ॒पाम्। त्वा॒। स॒धस्थ॒ इति॑ स॒धऽस्थे॑। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। योनौ॑। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। पुरी॑षे। सा॒द॒या॒मि॒। अ॒पाम्। त्वा॒। पाथ॑सि। सा॒द॒या॒मि॒। गा॒य॒त्रेण॑। त्वा॒। छन्द॑सा। सा॒द॒या॒मि॒। त्रैष्टु॑भेन। त्रैस्तु॑भे॒नेति॒ त्रैऽस्तु॑भेन। त्वा॒। छन्द॑सा। सा॒द॒या॒मि॒। जाग॑तेन। त्वा॒। छन्द॑सा। सा॒द॒या॒मि॒। आनु॑ष्टुभेन। आनु॑स्तुभे॒नेत्यानु॑ऽस्तुभेन। त्वा॒। छन्द॑सा। सा॒द॒या॒मि॒। पाङ्क्ते॑न। त्वा॒। छन्द॑सा। सा॒द॒या॒मि॒ ॥५३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अपान्त्वेमन्त्सादयाम्यपान्त्वोद्मन्त्सादयाम्यापान्त्वा भस्मन्त्सादयाम्यापान्त्वा ज्योतिषि सादयाम्यापान्त्वायने सादयाम्यर्णवे त्वा सदने सादयामि । समुद्रे त्वा सदने सादयामि । सरिरे त्वा सदने सादयाम्यपान्त्वा क्षये सादयाम्यपान्त्वा सधिषि सादयाम्यपान्त्वा सदने सादयाम्यपान्त्वा सधस्थे सादयाम्यपान्त्वा योनौ सादयाम्यपान्त्वा पुरीषे सादयाम्यपान्त्वा पाथसि सादयामि गायत्रेण त्वा छन्दसा सादयामि त्रैष्टुभेन त्वा छन्दसा सादयामि जागतेन त्वा छन्दसा सादयाम्यानुष्टुभेन त्वा छन्दसा सादयामि पाङ्क्तेन त्वा छन्दसा सादयामि॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अपाम्। त्वा। एमन् सादयामि। अपाम् त्वा ओद्मन्। सादयामि। अपाम्। त्वा। भस्मन्। सादयामि। अपाम्। त्वा। ज्योतिषि। सादयामि। अपाम्। त्वा। अयने। सादयामि। अर्णवे। त्वा। सदने। सादयामि। समुद्रे। त्वा। सदने। सादयामि। सरिरे। त्वा। सदने। सादयामि। अपाम्। त्वा। क्षये। सादयामि। अपाम्। त्वा। सधिषि। सादयामि। अपाम्। त्वा। सदने। सादयामि। अपाम्। त्वा। सधस्थ इति सधऽस्थे। सादयामि। अपाम्। त्वा। योनौ। सादयामि। अपाम्। त्वा। पुरीषे। सादयामि। अपाम्। त्वा। पाथसि। सादयामि। गायत्रेण। त्वा। छन्दसा। सादयामि। त्रैष्टुभेन। त्रैस्तुभेनेति त्रैऽस्तुभेन। त्वा। छन्दसा। सादयामि। जागतेन। त्वा। छन्दसा। सादयामि। आनुष्टुभेन। आनुस्तुभेनेत्यानुऽस्तुभेन। त्वा। छन्दसा। सादयामि। पाङ्क्तेन। त्वा। छन्दसा। सादयामि॥५३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 13; मन्त्र » 53
    Acknowledgment

    Meaning -
    O man, I give thee the knowledge of the moving air for the medicinal herbs filled with the wetness of water, clouds, brilliant electricity, open space, control of breath, fleeting mind, acquirable speech, a well-furnished house, ear that hears various sounds, the sky and mid region full of water, ocean full of water, sandy tracts of water, foodstuffs that grow through water. I preach unto thee the significance of vedic texts couched in Gayatri, Trishtup, Jagati, Anushtup, and Pankti metres.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top