Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 4/ मन्त्र 5
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - यज्ञो देवता छन्दः - निचृत् आर्षी अनुष्टुप्, स्वरः - गान्धारः
    5

    आ वो॑ देवासऽईमहे वा॒मं प्र॑य॒त्यध्व॒रे। आ वो॑ देवासऽआ॒शिषो॑ य॒ज्ञिया॑सो हवामहे॥५॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ। वः॒। दे॒वा॒सः॒। ई॒म॒हे॒। वा॒मम्। प्र॒य॒तीति॑ प्रऽय॒ति। अ॒ध्व॒रे। आ। वः॒। दे॒वा॒सः॒। आ॒शिष॒ इत्या॒ऽशिषः॑। य॒ज्ञिया॑सः। ह॒वा॒म॒हे॒ ॥५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ वो देवास ईमहे वामम्प्रयत्यध्वरे । आ वो देवास आशिषो यज्ञियासो हवामहे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आ। वः। देवासः। ईमहे। वामम्। प्रयतीति प्रऽयति। अध्वरे। आ। वः। देवासः। आशिष इत्याऽशिषः। यज्ञियासः। हवामहे॥५॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 4; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    Meaning -
    O sages, we admire your praiseworthy qualities, during the performance of this happy sacrifice. O sages, we beg of you the fulfilment of our desires pertaining to the sacrifice.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top