Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 46

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 46/ मन्त्र 6
    सूक्त - प्रजापतिः देवता - अस्तृतमणिः छन्दः - पञ्चपदोष्णिग्विराड्जगती सूक्तम् - अस्तृतमणि सूक्त

    घृ॒तादुल्लु॑प्तो॒ मधु॑मा॒न्पय॑स्वान्त्स॒हस्र॑प्राणः श॒तयो॑निर्वयो॒धाः। श॒म्भूश्च॑ मयो॒भूश्चोर्ज॑स्वांश्च॒ पय॑स्वां॒श्चास्तृ॑तस्त्वा॒भि र॑क्षतु ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    घृ॒तात्। उत्ऽलु॑प्तः। मधु॑ऽमान्। पय॑स्वान्। स॒हस्र॑ऽप्राणः। श॒तऽयो॑निः। व॒यः॒ऽधाः। श॒म्ऽभूः। च॒। म॒यः॒ऽभूः। च॒। ऊर्ज॑स्वान्। च॒। पय॑स्वान्। च॒। अस्तृ॑तः। त्वा॒। अ॒भि। र॒क्ष॒तु॒ ॥४६.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    घृतादुल्लुप्तो मधुमान्पयस्वान्त्सहस्रप्राणः शतयोनिर्वयोधाः। शम्भूश्च मयोभूश्चोर्जस्वांश्च पयस्वांश्चास्तृतस्त्वाभि रक्षतु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    घृतात्। उत्ऽलुप्तः। मधुऽमान्। पयस्वान्। सहस्रऽप्राणः। शतऽयोनिः। वयःऽधाः। शम्ऽभूः। च। मयःऽभूः। च। ऊर्जस्वान्। च। पयस्वान्। च। अस्तृतः। त्वा। अभि। रक्षतु ॥४६.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 46; मन्त्र » 6

    पदार्थ -
    (घृतात्) प्रकाश से (उल्लुप्तः) ऊपर खींचा गया, (मधुमान्) ज्ञानवान्, (पयस्वान्) अन्नवान्, (सहस्रप्राणः) सहस्रों जीवनसामर्थ्यवाला, (शतयोनिः) सैकड़ों कारणों में व्यापक, (वयोधाः) पराक्रम देनेवाला, (शम्भूः) शान्ति करनेवाला (च) और (मयोभूः) सुख देनेवाला, (च) और (ऊर्जस्वान्) बलवाला (च च) और (पयस्वान्) दूधवाला, (अस्तृतः) अटूट [नियम] (त्वा) तेरी (अभि) सब ओर से (रक्षतु) रक्षा करे ॥६॥

    भावार्थ - परमेश्वर का वेदोक्त नियम संसार में प्रकाशमान है, मनुष्य उस पर ही चलकर अपना शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक बल बढ़ाकर सुखी होवें ॥६॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top