अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 48/ मन्त्र 6
वेद॒ वै रा॑त्रि ते॒ नाम॑ घृ॒ताची॒ नाम॒ वा अ॑सि। तां त्वां भ॒रद्वा॑जो वेद॒ सा नो॑ वि॒त्तेऽधि॑ जाग्रति ॥
स्वर सहित पद पाठवेद॑। वै। रा॒त्रि॒। ते॒। नाम॑। घृ॒ताची॑। नाम॑। वै। अ॒सि॒। ताम्। त्वाम्। भ॒रत्ऽवा॑जः। वे॒द॒। सा। नः॒। वि॒त्ते। अधि॑। जा॒ग्र॒ति॒ ॥४८.६॥
स्वर रहित मन्त्र
वेद वै रात्रि ते नाम घृताची नाम वा असि। तां त्वां भरद्वाजो वेद सा नो वित्तेऽधि जाग्रति ॥
स्वर रहित पद पाठवेद। वै। रात्रि। ते। नाम। घृताची। नाम। वै। असि। ताम्। त्वाम्। भरत्ऽवाजः। वेद। सा। नः। वित्ते। अधि। जाग्रति ॥४८.६॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 48; मन्त्र » 6
Subject - Ratri
Meaning -
O Night, I know well your name. You are of the name of Ghrtachi, the service ladle for ghrta and generosity for yajna. Bharadvaja, the sagely scholar of food and energy, knows you who watch over and guard our wealth.