Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 7 > सूक्त 26

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 7/ सूक्त 26/ मन्त्र 4
    सूक्त - मेधातिथिः देवता - विष्णुः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - विष्णु सूक्त

    इ॒दं विष्णु॒र्वि च॑क्रमे त्रे॒धा नि द॑धे प॒दा। समू॑ढमस्य पांसु॒रे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इ॒दम् । विष्णु॑: । वि । च॒क्र॒मे॒ । त्रे॒धा । नि । द॒धे॒ । प॒दा । सम्ऽऊ॑ढम् । अ॒स्य॒ । पां॒सु॒रे ॥२७.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इदं विष्णुर्वि चक्रमे त्रेधा नि दधे पदा। समूढमस्य पांसुरे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इदम् । विष्णु: । वि । चक्रमे । त्रेधा । नि । दधे । पदा । सम्ऽऊढम् । अस्य । पांसुरे ॥२७.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 7; सूक्त » 26; मन्त्र » 4

    Meaning -
    Vishnu created the threefold universe of mind, motion and matter through three steps of evolution of Pradhana, subtle elements and gross materials, shaped the materials into threefold form of heaven, skies and earth, and set the form, the mystery that it is, into space and time.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top