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अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 18

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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 18/ मन्त्र 10
    सूक्त - अथर्वा देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - प्राजापत्या त्रिष्टुप् सूक्तम् - सुरक्षा सूक्त

    बृह॒स्पतिं॒ ते वि॒श्वदे॑ववन्तमृच्छन्तु। ये मा॑ऽघा॒यव॑ ऊ॒र्ध्वाया॑ दि॒शोऽभि॒दासा॑त् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    बृह॒स्पति॑म्। ते। वि॒श्वदे॑वऽवन्तम्। ऋ॒च्छ॒न्तु॒। ये। मा॒। अ॒घ॒ऽयवः॑। ऊ॒र्ध्वायाः॑। दि॒शः। अ॒भि॒ऽदासा॑त् ॥१८.१०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    बृहस्पतिं ते विश्वदेववन्तमृच्छन्तु। ये माऽघायव ऊर्ध्वाया दिशोऽभिदासात् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    बृहस्पतिम्। ते। विश्वदेवऽवन्तम्। ऋच्छन्तु। ये। मा। अघऽयवः। ऊर्ध्वायाः। दिशः। अभिऽदासात् ॥१८.१०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 18; मन्त्र » 10
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