अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 44/ मन्त्र 10
मि॒त्रश्च॑ त्वा॒ वरु॑णश्चानु॒प्रेय॑तुराञ्जन। तौ त्वा॑नु॒गत्य॑ दू॒रं भो॒गाय॒ पुन॒रोह॑तुः ॥
स्वर सहित पद पाठस्वर रहित मन्त्र
मित्रश्च त्वा वरुणश्चानुप्रेयतुराञ्जन। तौ त्वानुगत्य दूरं भोगाय पुनरोहतुः ॥
स्वर रहित पद पाठ अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 44; मन्त्र » 10
Subject - Ointment
Translation -
Mitra and Varuna, both, have gone after thee, O Ointment; they having gone far after thee, brought thee back for enjoyment (bhoga).