अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 129/ मन्त्र 14
सूक्त -
देवता - प्रजापतिः
छन्दः - प्राजापत्या गायत्री
सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
पुमां॑ कु॒स्ते निमि॑च्छसि ॥
स्वर सहित पद पाठकु॒स्ते । निमि॑च्छसि॥१२९.१४॥
स्वर रहित मन्त्र
पुमां कुस्ते निमिच्छसि ॥
स्वर रहित पद पाठकुस्ते । निमिच्छसि॥१२९.१४॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 129; मन्त्र » 14
Translation -
The man having perseverance walks in to unity.