Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 10

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 10/ मन्त्र 4
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - शान्ति सूक्त

    शं नो॑ अ॒ग्निर्ज्योति॑रनीको अस्तु॒ शं नो॑ मि॒त्रावरु॑णाव॒श्विना॒ शम्। शं नः॑ सु॒कृतां॑ सुकृ॒तानि॑ सन्तु॒ शं न॑ इषि॒रो अ॒भि वा॑तु॒ वातः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शम्। नः॒। अ॒ग्निः। ज्योतिः॑ऽअनीकः। अ॒स्तु॒। शम्। नः॒। मि॒त्रावरु॑णौ। अ॒श्विना॑। शम्। शम्। नः॒। सु॒ऽकृता॑म्। सु॒ऽकृ॒तानि॑। स॒न्तु॒ । शम्। नः॒। इ॒षि॒रः। अ॒भि। वा॒तु॒। वातः॑ ॥१०.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शं नो अग्निर्ज्योतिरनीको अस्तु शं नो मित्रावरुणावश्विना शम्। शं नः सुकृतां सुकृतानि सन्तु शं न इषिरो अभि वातु वातः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    शम्। नः। अग्निः। ज्योतिःऽअनीकः। अस्तु। शम्। नः। मित्रावरुणौ। अश्विना। शम्। शम्। नः। सुऽकृताम्। सुऽकृतानि। सन्तु । शम्। नः। इषिरः। अभि। वातु। वातः ॥१०.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 10; मन्त्र » 4

    टिप्पणीः - ४−(शम्) शान्तिप्रदः (नः) (अग्निः) पावकः (ज्योतिरनीकः) ज्योतिरेवानीकं सैन्यमिव यस्य सः (अस्तु) (शम्) (नः) (मित्रावरुणौ) अहोरात्रे (अश्विना) सूर्याचन्द्रमसौ (शम्) (शम्) (नः) (सुकृताम्) पुण्यकर्मणाम् (सुकृतानि) पुण्यकर्माणि (सन्तु) (शम्) (नः) अस्मभ्यम् (इषिरः) वेगवान् (अभि) सर्वतः (वातु) गच्छतु (वातः) वायुः ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top