Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 1 > सूक्त 26

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 1/ सूक्त 26/ मन्त्र 4
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - मरुद्गणः छन्दः - एकावसाना पादनिचृद्गायत्री सूक्तम् - सुख प्राप्ति सूक्त

    सु॑षू॒दत॑ मृ॒डत॑ मृ॒डया॑ नस्त॒नूभ्यो॑ मय॑स्तो॒केभ्य॑स्कृ॒धि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सु॒सू॒दत॑ । मृ॒डत॑ । मृ॒डय॑ । न॒: । त॒नूभ्य॑: । मय॑: । तो॒केभ्य॑: । कृ॒धि॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सुषूदत मृडत मृडया नस्तनूभ्यो मयस्तोकेभ्यस्कृधि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सुसूदत । मृडत । मृडय । न: । तनूभ्य: । मय: । तोकेभ्य: । कृधि ॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 1; सूक्त » 26; मन्त्र » 4

    पदार्थ -
    (সুসুদত) তোমরা সকলে অঙ্গীকার কর ও (মৃত) সুখী কর। (নঃ) আমাদের (তনূভ্যঃ) শরীরকে (মৃডয়) সুখ দান কর (তোকেভ্যঃ) বালকদিগকে (ময়ঃ) আনন্দ (কৃধি) দান কর।।

    भावार्थ - হে রাজন! তোমরা সকলে অঙ্গীকার কর । সকলকে সুখী কর। আমাদের শরীরকে সুখ দাও এবং বালকদিগকে আনন্দ দাও।।

    मन्त्र (बांग्ला) - সুষুদত মৃডত মৃডয়া ন স্তনূভ্যঃ ৷ ময়স্তোকেভ্য স্কৃধি।।

    ऋषि | देवता | छन्द - ব্ৰহ্মা। ইন্দ্রাদয়ো মন্ত্রোক্তাঃ। পাদনিচূৎ গায়ত্রী (একাবসানা)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top