अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 67/ मन्त्र 2
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - सूर्यः
छन्दः - प्राजापत्या गायत्री
सूक्तम् - दीर्घायु सूक्त
जीवे॑म श॒रदः॑ श॒तम् ॥
स्वर सहित पद पाठजीवे॑म। श॒रदः॑। श॒तम् ॥६७.२॥
स्वर रहित मन्त्र
जीवेम शरदः शतम् ॥
स्वर रहित पद पाठजीवेम। शरदः। शतम् ॥६७.२॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 67; मन्त्र » 2
विषय - दीर्घ जीवन की प्रार्थना।
भावार्थ -
सौ बरसों तक (जीवेम) जीवें॥
टिप्पणी -
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ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - ब्रह्मा ऋषिः। सूर्यो देवता। प्राजापत्या गायत्र्यः। अष्टर्चं सूक्तम्॥
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