Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 8 > सूक्त 10 > पर्यायः 2

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 8/ सूक्त 10/ मन्त्र 3
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - विराट् छन्दः - एपदा याजुषी गायत्री सूक्तम् - विराट् सूक्त

    तामुपा॑ह्वयन्त ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ताम् । उप॑ । अ॒ह्व॒य॒न्त॒ ॥११.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तामुपाह्वयन्त ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ताम् । उप । अह्वयन्त ॥११.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 10; पर्यायः » 2; मन्त्र » 3

    भावार्थ -
    (ताम्) उस विराट् को उन्होंने (उपाह्वयन्त) बुलाया।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - अथर्वाचार्य ऋषिः। विराड् देवता। १ त्रिपदा अनुष्टुप्। २ उष्णिग् गर्भा चतुष्पदा उपरिष्टाद् विराड् बृहती। ३ एकपदा याजुषी गायत्री। ४ एकपदा साम्नी पंक्तिः। ५ विराड् गायत्री। ६ आर्ची अनुष्टुप्। ८ आसुरी गायत्री। ९ साम्नो अनुष्टुप्। १० साम्नी बृहती। ७ साम्नी पंक्तिः। दशर्चं सूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top