ऋग्वेद - मण्डल 4/ सूक्त 52/ मन्त्र 1
प्रति॒ ष्या सू॒नरी॒ जनी॑ व्यु॒च्छन्ती॒ परि॒ स्वसुः॑। दि॒वो अ॑दर्शि दुहि॒ता ॥१॥
स्वर सहित पद पाठप्रति॑ । स्या । सू॒नरी॑ । जनी॑ । वि॒ऽउ॒च्छन्ती॑ । परि॑ । स्वसुः॑ । दि॒वः । अ॒द॒र्शि॒ । दु॒हि॒ता ॥
स्वर रहित मन्त्र
प्रति ष्या सूनरी जनी व्युच्छन्ती परि स्वसुः। दिवो अदर्शि दुहिता ॥१॥
स्वर रहित पद पाठप्रति। स्या। सूनरी। जनी। विऽउच्छन्ती। परि। स्वसुः। दिवः। अदर्शि। दुहिता ॥१॥
ऋग्वेद - मण्डल » 4; सूक्त » 52; मन्त्र » 1
अष्टक » 3; अध्याय » 8; वर्ग » 3; मन्त्र » 1
Acknowledgment
अष्टक » 3; अध्याय » 8; वर्ग » 3; मन्त्र » 1
Acknowledgment
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
अथोषर्वत्स्त्रीगुणानाह ॥
अन्वयः
हे मनुष्या ! या दिवः स्वसुर्जनी सूनरी परिव्युच्छन्ती दुहितेवोषाः प्रत्यदर्शि स्या जागृतेन मनुष्येण द्रष्टव्या ॥१॥
पदार्थः
(प्रति) (स्या) सा (सूनरी) सुष्ठु नेत्री (जनी) जनयित्री (व्युच्छन्ती) निवासयन्ती (परि) (स्वसुः) भगिन्याः (दिवः) कमनीयायाः (अदर्शि) दृश्यते (दुहिता) कन्येव वर्त्तमाना ॥१॥
भावार्थः
सैव स्त्री वरा या उषर्वद्वर्त्तते ॥१॥
हिन्दी (1)
विषय
अब सात ऋचावाले बावनवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में उषा की तुल्यता से स्त्री के गुणों का वर्णन करते हैं ॥
पदार्थ
हे मनुष्यो ! जो (दिवः) सुन्दर (स्वसुः) भगिनी की (जनी) उत्पन्न करनेवाली (सूनरी) उत्तम पहुँचाती और (परि, व्युच्छन्ती) सब ओर से निवास देती हुई (दुहिता) कन्या के सदृश वर्त्तमान प्रातर्वेला (प्रति, अदर्शि) एक के प्रति एक देखी जाती है (स्या) वह जागे हुए मनुष्य से देखने योग्य है ॥१॥
भावार्थ
वही स्त्री श्रेष्ठ, जो प्रातर्वेला के सदृश वर्त्तमान है ॥१॥
मराठी (1)
विषय
या सूक्तात प्रभातवेळेप्रमाणे स्त्रियांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.
भावार्थ
जी उषेप्रमाणे असते. तीच स्त्री श्रेष्ठ असते. ॥ १ ॥
इंग्लिश (1)
Meaning
That joyous dawn, pioneer of the sun, harbinger of the new day, shining at the departure of her sister, the night, rises to view every morning as the daughter of heaven, arousing the world to fresh life.
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal