साइडबार
ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 112/ मन्त्र 2
जर॑तीभि॒रोष॑धीभिः प॒र्णेभि॑: शकु॒नाना॑म् । का॒र्मा॒रो अश्म॑भि॒र्द्युभि॒र्हिर॑ण्यवन्तमिच्छ॒तीन्द्रा॑येन्दो॒ परि॑ स्रव ॥
स्वर सहित पद पाठजर॑तीभिः । ओष॑धीभिः । प॒र्णेभिः॑ । श॒कु॒नाना॑म् । का॒र्मा॒रः । अश्म॑ऽभिः । द्युऽभिः॑ । हिर॑ण्यऽवन्तम् । इ॒च्छ॒ति॒ । इन्द्रा॑य । इ॒न्दो॒ इति॑ । परि॑ । स्र॒व॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
जरतीभिरोषधीभिः पर्णेभि: शकुनानाम् । कार्मारो अश्मभिर्द्युभिर्हिरण्यवन्तमिच्छतीन्द्रायेन्दो परि स्रव ॥
स्वर रहित पद पाठजरतीभिः । ओषधीभिः । पर्णेभिः । शकुनानाम् । कार्मारः । अश्मऽभिः । द्युऽभिः । हिरण्यऽवन्तम् । इच्छति । इन्द्राय । इन्दो इति । परि । स्रव ॥ ९.११२.२
ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 112; मन्त्र » 2
अष्टक » 7; अध्याय » 5; वर्ग » 25; मन्त्र » 2
Acknowledgment
अष्टक » 7; अध्याय » 5; वर्ग » 25; मन्त्र » 2
Acknowledgment
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
पदार्थः
(जरतीभिः) प्राचीनाभिः (ओषधीभिः) लताभिर्निर्मितैः (शकुनानाम्, पर्णेभिः) उन्नतिशीलजनानां नभोयानादिविमानैः (कार्मारः) शिल्पिनः (अश्मभिः, द्युभिः) वज्रादिशस्त्रैः (हिरण्यवन्तं) ऐश्वर्य्यवन्तं राजानं (इच्छति) वाञ्च्छति (इन्द्राय) उक्तैश्वर्य्यवते राज्ञे (इन्दो) हे प्रकाशस्वरूप परमात्मन् ! भवान् (परि, स्रव) अभिषेकहेतुर्भवतु ॥२॥
हिन्दी (3)
पदार्थ
(जरतीभिः) प्राचीन (ओषधीभिः) ओषधियों से निर्मित (शकुनानां, पर्णेभिः) उन्नतिशील पुरुषों के नभोयानादि विमानों द्वारा (कार्मारः) शिल्पी लोग (अश्मभिः, द्युभिः) दीप्तिवाले वज्रादि शस्त्रों से (हिरण्यवन्तं) ऐश्वर्य्यवाले राजा की (इच्छन्ति) इच्छा करते हैं, (इन्दो) हे प्रकाशस्वरूप परमात्मन् ! आप (इन्द्राय) उक्त ऐश्वर्य्यसम्पन्न राजा के लिये (परि, स्रव) अभिषेक का कारण बनें ॥२॥
भावार्थ
जो राजा दीप्तिवाले अस्त्र-शस्त्र तथा विमानादि द्वारा सर्वत्र गतिशील होता है, वह परमात्मा की कृपा से ही उत्पन्न होता है, या यों कहो कि पूर्वकृत प्रारब्ध कर्मों के अनुसार परमात्मा ही ऐसे राजा को अभिषिक्त करता है ॥२॥
विषय
ओषधियाँ, पर्णभस्म व युक्ताभस्म
पदार्थ
के (जरतीभिः ओषधीभिः) = परिपक्व व रोगों को जीर्ण करनेवाली ओषधियों से, (शकुनानां पर्णेभिः) = पक्षियों के पंखों से तथा (द्युभिः अश्मभिः) = ज्योतिर्मय पाषाणों से [हीरों] (कार्मार:) = क्रियाकुशल व्यक्ति (हिरण्यवन्तम्) = धनवाले पुरुष को (इच्छति) = चाहता है, इनके विक्रय के द्वारा वह अपने को धनी बनाना चाहता है । हे (इन्दो) = शक्तिशाली सोम ! तू (इन्द्राय) = जितेन्द्रिय पुरुष लिये (परिस्त्रव) = प्राप्त हो। जैसे वे हिरण्यवान् पुरुष को चाहते हैं, तू इस जितेन्द्रिय की कामना कर । शरीर में कभी रोग आदि आ जाते हैं और समान्यतः मनुष्य ओषधियों के प्रयोग से, पक्षियों के पंखों की भस्म बनाकर व मुक्ताभस्म आदि के द्वारा अपने को नीरोग बनाने की कामना करता है, इन से ही वह अपने को शक्तिशाली बनाना चाहता है । परन्तु सर्वोत्तम उपाय इस सोम का रक्षण ही है। इसके लिये हम जितेन्द्रिय बनें। यह जितेन्द्रियता सोमरक्षण द्वारा हमारे सब रोगों को विशेषरूप से कम्पित करके दूर करनेवाली होगी, यह तो है ही 'वीर्य' [वि + ईर] विशेष रूप से रोगरूप शत्रुओं को कम्पित करनेवाला ।
भावार्थ
भावार्थ–हम ओषधियों, पर्णभस्म व मुक्ताभस्मों के प्रयोग से रोगों को दूर करने की अपेक्षा शरीर में सोम [वीर्य] का धारण करें। इसे ही सर्वोत्तम औषध जानें।
विषय
बाणकार के समान बाणों, वा शस्त्र-बल से ऐश्वर्य प्राप्त करने का आदेश।
भावार्थ
जिस प्रकार (जरतीभिः ओषधीभिः) जीर्ण होने वाली, परिपक्व ओषधियों, सरकण्डे आदि से, (शकुनानाम् पर्णेभिः) पक्षियों के पंखों से और (द्युभिः अश्मभिः) तीक्ष्ण करने वाले शिला खण्डों से नाना बाण बनाने वाला (कार्मारः) क्रिया कुशल शिल्पी (हिरण्यवन्तम्) किसी धन-सम्पन्न को प्राप्त करना चाहता है उसी प्रकार हे (इन्दो) तेजस्विन् ! (जरतीभिः ओषधीभिः) शत्रु के जीवन-हानि करने वाली तेजस्विनी सेनाओं से, और (शकुनानाम् पर्णेभिः) शक्तिशाली, अपने को और तुझे ऊपर, उन्नत पद तक उठा लेने वाले वीर पुरुषों के पालन सामर्थ्यों और वेग से जाने वाले रथों से, वा बाणों से, और (द्युभिः-अश्मभिः) तेजस्वी, चमचमाते शस्त्रों से (इन्द्राय) ऐश्वर्ययुक्त राज्यपद, शत्रु-हननकारी सैनापत्य के लिये (परि स्रव) आगे बढ़।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
शिशुर्ऋषिः॥ पवमानः सोमो देवता॥ छन्दः–१– ३ विराट् पंक्तिः। ४, निचृत् पंक्तिः॥ चतुर्ऋचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (1)
Meaning
With ripe herbs, bird’s feathers and with stones and flames, the smith makes the arrows and seeks the man of gold who can buy. O bright and sparkling Soma, you go forward with Indra, ruler of the social order.
मराठी (1)
भावार्थ
जो राजा दीप्तियुक्त अस्रशस्र व विमान इत्यादीद्वारे सर्वत्र गतिशील असतो तो परमात्म्याच्या कृपेनेच उत्पन्न होतो किंवा असे म्हणता येईल की, पूर्वकृत प्रारब्ध कर्मानुसार परमात्माच अशा राजाला अभिषिक्त करतो. ॥२॥
हिंगलिश (1)
Subject
Set up Different Avenues of Education
Word Meaning
Different herbs, products from other living beings like feathers of a bird and such materials have medicinal properties; Set up avenues to study and teach about them.Technologies can provide opportunities to generate wealth by intelligent working with minerals etc.; set up institutions for nurturing these talents. भिन्न भिन्न जड़ी बूटियों, भिन्न भिन्न प्राणियों के अवयवों से अनेक ओषधियां प्राप्त होती हैं. इन के प्रशिक्षण अनुसंधान के साधन उत्पन्न करो.खनिज पदार्थों इत्यादि से ज्ञान कौशल द्वारा धनोपार्जन सम्भव होता है. इन विषयों पर प्रशिक्षण अनुसंधान के साधन उपलब्ध कराओ. ऐश्वर्य की वृद्धि के लिए समाज का विभिन्न प्रकार के कार्यों के ज्ञान का सामर्थ्य बढ़ाओ.
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal