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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 47 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 47/ मन्त्र 3
    ऋषिः - कविभार्गवः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः

    आत्सोम॑ इन्द्रि॒यो रसो॒ वज्र॑: सहस्र॒सा भु॑वत् । उ॒क्थं यद॑स्य॒ जाय॑ते ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आत् । सोमः॑ । इ॒न्द्रि॒यः । रसः॑ । वज्रः॑ । स॒ह॒स्र॒ऽसाः । भु॒व॒त् । उ॒क्थम् । यत् । अ॒स्य॒ । जाय॑ते ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आत्सोम इन्द्रियो रसो वज्र: सहस्रसा भुवत् । उक्थं यदस्य जायते ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आत् । सोमः । इन्द्रियः । रसः । वज्रः । सहस्रऽसाः । भुवत् । उक्थम् । यत् । अस्य । जायते ॥ ९.४७.३

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 47; मन्त्र » 3
    अष्टक » 7; अध्याय » 1; वर्ग » 4; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (यत् अस्य उक्थम् जायते) यदास्य परमात्मनः वेदरूपिणी स्तुतिराविर्भवति (आत्) तदा (सोमः) स परमात्मा (इन्द्रियः रसः) जीवात्मनस्तृप्तिकारकं मोदमयरसं तथा (वज्रः) दुष्टेभ्यो रक्षणाय शस्त्ररूपः तथा (सहस्रसाः) अनन्तशक्तिप्रदाता (भुवत्) भवति ॥३॥

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    हिन्दी (3)

    पदार्थ

    (यत् अस्य उक्थम् जायते) अब इस परमात्मा की वेदरूपी स्तुति का आविर्भाव होता है (आत्) तब (सोमः) वह परमात्मा (इन्द्रियः रसः) जीवात्मा का तृप्तिकारक आनन्दमय रस तथा (वज्रः) दुष्टों से रक्षा करने के लिये शस्त्ररूप और (सहस्रसाः) अनन्त शक्तियों का प्रदाता (भुवत्) होता है ॥३॥

    भावार्थ

    जीवात्मा के लिये परमात्मा ने अनन्त शक्तियें प्रदान की हैं, परन्तु उन सबका आविर्भाव तभी होता है, जब जीवात्मा वेदों द्वारा उन शक्तियों का ज्ञाता बनता है ॥३॥

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    विषय

    सहस्त्रसा

    पदार्थ

    (यत् अस्य) = जब सोम का (उक्थं) = उत्पादन (जायते) = होता है। (आत्) = इसके बाद यह (सोम) = वीर्य शक्ति से (इन्द्रिय) = ज्ञानेन्द्रियाँ व कर्मेन्द्रियाँ (सहस्रसा:) = बहुत प्रकार से (रसः) = बलवती और (वज्रः) = तेजस्विनी (भुवत्) = बन जाती हैं।

    भावार्थ

    भावार्थ- सोम हमारी उभयेन्द्रियों की शक्तियों का वर्धन करता है।

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    विषय

    उत्कृष्ट बल वीर्य।

    भावार्थ

    (यत् अस्य) जब उसका (उक्थं जायते) वचन होता है (आत्) अनन्तर ही (अस्य) उसका (सोमः) सर्वशासक (इन्द्रियः) इन्द्र अर्थात् ऐश्वर्य पद के योग्य (रसः) बल और (वज्रः) वीर्य (सहस्रसाः) सहस्रों का देने वा प्राप्त करने वाला (भुवत्) प्रकट होता है।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    कविर्भार्गव ऋषिः॥ पवमानः सोमो देवता॥ छन्द:– १, ३, ४ गायत्री। २ निचृद् गायत्री। ५ विराड् गायत्री॥ पञ्चर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    And when the song of adoration is sung in honour of this Soma, then the spirit of peace and inner strength, inner joy, adamantine courage and rectitude edifying the mind and sense of the celebrant arise a thousandfold in the soul.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    परमेश्वराने जीवात्म्याला अनंत शक्ती प्रदान केलेल्या आहेत. त्या सर्वांचा आविर्भाव तेव्हाच होतो जेव्हा जीवात्मा वेदांद्वारे त्या शक्तींचा ज्ञाता बनतो. ॥३॥

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