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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 47 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 47/ मन्त्र 9
    सूक्त - गोपथः देवता - रात्रिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - रात्रि सूक्त
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    त्वयि॑ रात्रि वसामसि स्वपि॒ष्याम॑सि जागृ॒हि। गोभ्यो॑ नः॒ शर्म॑ य॒च्छाश्वे॑भ्यः॒ पुरु॑षेभ्यः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्वयि॑। रा॒त्रि॒। व॒सा॒म॒सि॒। स्व॒पि॒ष्याम॑सि। जा॒गृ॒हि। गोभ्यः॑। नः॒। शर्म॑। य॒च्छ॒। अश्वे॑भ्यः। पुरु॑षेभ्यः ॥४७.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्वयि रात्रि वसामसि स्वपिष्यामसि जागृहि। गोभ्यो नः शर्म यच्छाश्वेभ्यः पुरुषेभ्यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    त्वयि। रात्रि। वसामसि। स्वपिष्यामसि। जागृहि। गोभ्यः। नः। शर्म। यच्छ। अश्वेभ्यः। पुरुषेभ्यः ॥४७.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 47; मन्त्र » 9
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    हिन्दी (1)

    विषय

    रात्रि में रक्षा का उपदेश।

    पदार्थ

    (रात्रि) हे रात्रि ! (त्वयि) तुझमें (वसामसि) हम निवास करते हैं, (स्वपिष्यामसि) हम सोवेंगे, (जागृहि) तू जागती रह। (नः) हमारी (गोभ्यः) गौओं को, (अश्वेभ्यः) घोड़ों को और (पुरुषेभ्यः) पुरुषों को (शर्म) सुख (यच्छ) दे ॥९॥

    भावार्थ

    मनुष्य परिश्रम करके रात्रि में प्रबन्ध के साथ सोवें, जिससे सब गौ, घोड़े, मनुष्य आदि सुख से रहें ॥९॥

    टिप्पणी

    ९−(त्वयि) (रात्रि) (वसामसि) वसामः। निवसामः (स्वपिष्यामसि) छान्दस इडागमः। स्वप्स्यामः। निद्रां करिष्यामः (जागृहि) जागरिता भवः (गोभ्यः) धेनुभ्यः (अश्वेभ्यः) तुरङ्गेभ्यः (शर्म) सुखम् (यच्छ) देहि ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Ratri

    Meaning

    O Night of restful sleep, we sleep in you, we rest and dream in you, pray you keep awake and be watchful, and bear and bring peace and rest and shelter for our cows, our horses and our people.

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ९−(त्वयि) (रात्रि) (वसामसि) वसामः। निवसामः (स्वपिष्यामसि) छान्दस इडागमः। स्वप्स्यामः। निद्रां करिष्यामः (जागृहि) जागरिता भवः (गोभ्यः) धेनुभ्यः (अश्वेभ्यः) तुरङ्गेभ्यः (शर्म) सुखम् (यच्छ) देहि ॥

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