अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 23/ मन्त्र 1
सूक्त - अथर्वा
देवता - आपः
छन्दः - एकावसानासमविषमात्रिपाद्गायत्री
सूक्तम् - शत्रुनाशन सूक्त
74
आपो॒ यद्व॒स्तप॒स्तेन॒ तं प्र॑ति तपत॒ यो॑३ ऽस्मान्द्वेष्टि॒ यं व॒यं द्वि॒ष्मः ॥
स्वर सहित पद पाठआप॑: । यत् । व॒: । तप॑: । तेन॑ । तम् । प्रति॑ । त॒प॒त॒ । य: । अ॒स्मान् । द्वेष्टि॑ । यम् । व॒यम् । द्वि॒ष्म: ॥२३.१॥
स्वर रहित मन्त्र
आपो यद्वस्तपस्तेन तं प्रति तपत यो३ ऽस्मान्द्वेष्टि यं वयं द्विष्मः ॥
स्वर रहित पद पाठआप: । यत् । व: । तप: । तेन । तम् । प्रति । तपत । य: । अस्मान् । द्वेष्टि । यम् । वयम् । द्विष्म: ॥२३.१॥
भाष्य भाग
हिन्दी (1)
विषय
कुप्रयोग त्याग के लिये उपदेश।
पदार्थ
(आपः) हे जल [जल पदार्थ !] (यत्) जो (वः) तुम्हारा (तपः) प्रताप है, (तेन) उससे (तम् प्रति) उस [दोष] पर (तपत) प्रतापी हो, (यः) जो (अस्मान्) हमसे (द्वेष्टि) अप्रिय करे, (यम्) जिससे (वयम्) हम (द्विष्मः) अप्रिय करें ॥१॥
भावार्थ
वृष्टि, नदी, कूप आदि का जल अनावृष्टि दोषों को मिटाकर अन्न आदि पदार्थों को उत्पन्न करके प्राणियों को बल और सुख देता है और वही कुप्रबन्ध से दुःख का कारण होता है, ऐसे ही राजा सामाजिक नियमों के विरोधी दुष्टों का नाश करके प्रजा को समृद्ध करता और सुख देता है ॥१॥
इंग्लिश (1)
Subject
Apah Devata
Meaning
O waters, the heat that is in you, with that wash off that which hates us and that which we hate to suffer.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Dhiman
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal