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अथर्ववेद के काण्ड - 7 के सूक्त 70 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 70/ मन्त्र 4
    ऋषिः - अथर्वा देवता - श्येनः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - शत्रुदमन सूक्त
    41

    अपा॑ञ्चौ त उ॒भौ बा॒हू अपि॑ नह्याम्या॒स्यम्। अ॒ग्नेर्दे॒वस्य॑ म॒न्युना॒ तेन॑ तेऽवधिषं ह॒विः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अपा॑ञ्चौ । ते॒ । उ॒भौ । बा॒हू इति॑ । अपि॑ । न॒ह्या॒मि॒ । आ॒स्य᳡म् । अ॒ग्ने: । दे॒वस्य॑ । म॒न्युना॑ । तेन॑ । ते॒ । अ॒व॒धि॒ष॒म् । ह॒व‍ि: ॥७३.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अपाञ्चौ त उभौ बाहू अपि नह्याम्यास्यम्। अग्नेर्देवस्य मन्युना तेन तेऽवधिषं हविः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अपाञ्चौ । ते । उभौ । बाहू इति । अपि । नह्यामि । आस्यम् । अग्ने: । देवस्य । मन्युना । तेन । ते । अवधिषम् । हव‍ि: ॥७३.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 7; सूक्त » 70; मन्त्र » 4
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    शत्रु के दमन का उपदेश।

    पदार्थ

    [हे शत्रु !] (ते) तेरे (अपाञ्चौ) पीछे को चढ़ाये गये (उभौ) दोनों (बाहू) भुजाओं को (अपि) और (आस्यम्) मुख को (नह्यामि) मैं बाँधता हूँ। (देवस्य) विजयी (अग्नेः) तेजस्वी सेनापति के (तेन मन्युना) उस क्रोध से (ते) तेरे (हविः) भोजन आदि ग्राह्यपदार्थ को (अवधिषम्) मैंने नष्ट कर दिया है ॥४॥

    भावार्थ

    राजा दुराचारियों को दण्ड देकर कारागार में रखकर प्रजा की रक्षा करे ॥४॥

    टिप्पणी

    ४−(अपाञ्चौ) अपाञ्चनौ पृष्ठे सम्बद्धौ (ते) तव (उभौ) द्वौ (बाहू) भुजौ (अपि) एव (नह्यामि) बध्नामि (आस्यम्) मुखम् (अग्नेः) तेजस्विनः सेनापतेः (देवस्य) विजयमानस्य (मन्युना) तेजसा। क्रोधेन (ते) तव (अवधिषम्) हन्तेर्लुङ्। नाशितवानस्मि (हविः) होतव्यम्। ग्राह्यं द्रव्यम् ॥

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    विषय

    शत्रुबन्धन

    पदार्थ

    १.(ते) = शत्रुभूत तेरी (उभौ बाहू) = दोनों भुजाओं को (अपाञ्चौ) = पृष्ठभाग से सम्बद्ध करके (अपि नह्यामि) = बाँध देता हूँ, जिससे तेरी भुजाएँ अभिचार कर्म को कर ही न पाएँ। (आस्यम्) = तेरे मन्त्री च्चारणसमर्थ मुख को भी बाँध देता हूँ, जिससे तू होमसाधनभूत मन्त्रों का उच्चारण ही न कर सके। २. उस (देवस्य) = शत्रुओं की विजिगीषावाले (अग्नेः) = अग्निवत् भस्म कर डालनेवाले प्रभु के (तेन मन्युना) = उस तेज से [क्रोध से] (ते हविः) = तेरे होतव्य द्रव्य को ही (अवधिषम्) = नष्ट कर देता हूँ।

    भावार्थ

    शत्रु को इसप्रकार बद्ध कर दिया जाए कि वह अभिचार कर्म कर ही न सके। प्रभु की विनाशक शक्तियों से उसका हविर्द्रव्य ही विनष्ट हो जाए।

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    भाषार्थ

    [हे शत्रु राजन् !] (ते) तेरी (उभौ बाहू) दोनों बाहुओं को (अपाञ्चौ) गतिरहित करता हूँ, बान्ध देता हूं, तथा (ते आस्यम्) तेरे मुख को (अपि) भी (नह्यामि) मैं बांध देता हूं। तथा (अग्नेः देवस्य) अग्रणी देव अर्थात् प्रधानमन्त्री के (तेन, मन्युना) उस कोप द्वारा (ते) तेरी (हविः) युद्ध सम्बन्धी हवि अर्थात् सेना का भी (अवधिषम्१) मैंने वध कर दिया है। अपाञ्चौ = अप (अपगत) + अञ्चु गतौ, गतिरहित।

    टिप्पणी

    [शत्रु राजा की बाहुओं और मुख को बांध देने से वह स्वयं युद्ध करने में असमर्थ हो जाता है, और युद्धकर्म में आज्ञा देने से भी रहित हो जाता है।] [१. अवधिषम् = हनिष्यामि (सायण)।]

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    विषय

    दुष्ट पुरुषों का वर्णन।

    भावार्थ

    शत्रु के बल का नाश करके उसे कैद करें। हे शत्रो ! तेरे (उभौ) दोनों (बाहू) बाहुओं को (अपाञ्चौ) नीचे करके (अपि नह्यामि) बांध दू जिससे तू फिर हमारे विरुद्ध न उठा सके। और तेरे (आस्यम्) मुँह को भी बांध दूं. जिससे तू कुवाक्य भी न कहे। (देवस्य) देव अर्थात् महाराज (अग्नेः) अग्रगामी, नेता और शत्रुओं को भून डालने वाले परंतप, प्रतापी राजा के (मन्युना) क्रोध से (ते) तेरे (हविः) बल वीर्य, अन्न और कर का मैं (अवधिषम्) विनाश करूं।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। श्येन उत मन्त्रोक्ता देवता॥ १ त्रिष्टुप्। अत्तिजगतीगर्भा जगती। ३-५ अनुष्टुभः (३ पुरः ककुम्मती)॥ पञ्चर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Nip the Enemy

    Meaning

    I nail those two columns of your army already reverted and retreated, and thus I seal your advance also. It is by the force and terror of brilliant fire power that I destroy your force and the entire infrastructure.

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    Translation

    I bind both your arms behind your back; I shut your mouth with a bandage. With that wrath of the victorious adorable Lord, I destroy your provisions (of the sacrifice).

    Comments / Notes

    MANTRA NO 7.73.4AS PER THE BOOK

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    Translation

    I, the man engaged in performing good acts like yajna etc. introvert Ubhau Bahu, the thought and action of this man in contrariety to their previous engagement and keep bondage on his mouth to save him from worldly enjoyments and through the mighty antidote of terrible fire of discrimination destroy his tendency of worldly affection.

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    Translation

    O foe, behind thy back I tie thine arms, I bind a bandage on thy mouth, I with the anger of a conquering king have destroyed all thy strength and vitality!

    Footnote

    I: A powerful General. Bind a bandage: so that thou may not utter nonsensical disrespectful words.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ४−(अपाञ्चौ) अपाञ्चनौ पृष्ठे सम्बद्धौ (ते) तव (उभौ) द्वौ (बाहू) भुजौ (अपि) एव (नह्यामि) बध्नामि (आस्यम्) मुखम् (अग्नेः) तेजस्विनः सेनापतेः (देवस्य) विजयमानस्य (मन्युना) तेजसा। क्रोधेन (ते) तव (अवधिषम्) हन्तेर्लुङ्। नाशितवानस्मि (हविः) होतव्यम्। ग्राह्यं द्रव्यम् ॥

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