Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 2/ मन्त्र 12
    ऋषिः - परमेष्ठी प्रजापतिर्ऋषिः देवता - सविता देवता छन्दः - भूरिक् बृहती, स्वरः - मध्यमः
    1

    ए॒तं ते॑ देव सवितर्य॒ज्ञं प्राहु॒र्बृह॒स्पत॑ये ब्र॒ह्मणे॑। तेन॑ य॒ज्ञम॑व॒ तेन॑ य॒ज्ञप॑तिं॒ तेन॒ माम॑व॥१२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ए॒तम्। ते॒। दे॒व॒। स॒वि॒तः॒। य॒ज्ञम्। प्र। आ॒हुः॒। बृह॒स्पत॑ये। ब्र॒ह्मणे॑। तेन॑। य॒ज्ञम्। अ॒व॒। तेन॑। य॒ज्ञप॑ति॒मिति॑ य॒ज्ञऽप॑तिम्। तेन॑। माम्। अ॒व॒ ॥१२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    एतन्ते देव सवितर्यज्ञम्प्राहुर्बृहस्पतये ब्रह्मणे । तेन यज्ञमव तेन यज्ञपतिं तेन मामव ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    एतम्। ते। देव। सवितः। यज्ञम्। प्र। आहुः। बृहस्पतये। ब्रह्मणे। तेन। यज्ञम्। अव। तेन। यज्ञपतिमिति यज्ञऽपतिम्। तेन। माम्। अव॥१२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 2; मन्त्र » 12
    Acknowledgment

    Translation -
    O Creator Lord, they say that this sacrifice is meant for you, who are the Lord supreme, the divine supreme. Promote this sacrifice and by it protect the sacrificer and me also. (1)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top