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  • यजुर्वेद - अध्याय 37/ मन्त्र 13
    ऋषिः - दध्यङ्ङाथर्वण ऋषिः देवता - विद्वान् देवता छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
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    स्वाहा॑ म॒रुद्भिः॒ परि॑ श्रीयस्व दि॒वः स॒ꣳस्पृश॑स्पाहि।मधु॒ मधु॒ मधु॑॥१३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स्वाहा॑। म॒रुद्भि॒रिति॑ म॒रुत्ऽभिः॑। परि॑। श्री॒य॒स्व॒। दि॒वः। स॒ꣳस्पृश॒ इति॑ स॒म्ऽस्पृशः॑। पा॒हि॒ ॥ मधु॑। मधु॑। मधु॑ ॥१३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स्वाहा मरुद्भिः परिश्रीयस्व । दिवः सँस्पृशस्पाहि । मधु मधु मधु ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    स्वाहा। मरुद्भिरिति मरुत्ऽभिः। परि। श्रीयस्व। दिवः। सꣳस्पृश इति सम्ऽस्पृशः। पाहि॥ मधु। मधु। मधु॥१३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 37; मन्त्र » 13
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    Translation -
    Svaha ! May you be surrounded by sun-rays. (1) Save us from contaminations from the sky. (2) Sweet, sweet, sweet! (3)

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