Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 15 > सूक्त 1

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 15/ सूक्त 1/ मन्त्र 2
    सूक्त - अध्यात्म अथवा व्रात्य देवता - द्विपदा साम्नी बृहती छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त

    स प्र॒जाप॑तिःसु॒वर्ण॑मा॒त्मन्न॑पश्य॒त्तत्प्राज॑नयत् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । प्र॒जाऽप॑ति: । सु॒ऽवर्ण॑म् । आ॒त्मन् । अ॒प॒श्य॒त् । तत् । प्र । अ॒ज॒न॒य॒त् ॥१.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स प्रजापतिःसुवर्णमात्मन्नपश्यत्तत्प्राजनयत् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । प्रजाऽपति: । सुऽवर्णम् । आत्मन् । अपश्यत् । तत् । प्र । अजनयत् ॥१.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 15; सूक्त » 1; मन्त्र » 2

    भाषार्थ -
    (सः) उस (प्रजापतिः) प्रजारक्षक ने (आत्मन्) अपने आश्रय में (सुवर्णम्) उत्तमवर्णों वाले प्रकृति-तत्त्व को (अपश्यत्) देखा, (तत्) उस प्रकृति-तत्व को (प्राजनयत्) उस ने सृष्टि पैदा करने में उन्मुख१ किया ।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top