Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 15 > सूक्त 1

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 15/ सूक्त 1/ मन्त्र 6
    सूक्त - अध्यात्म अथवा व्रात्य देवता - त्रिपदा प्राजापत्या बृहती छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त

    स ए॑कव्रा॒त्योऽभ॑व॒त्स धनु॒राद॑त्त॒ तदे॒वेन्द्र॑ध॒नुः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । ए॒क॒ऽव्रा॒त्य: । अ॒भ॒व॒त् । स: । धनु॑: । आ । अ॒द॒त्त॒ । तत् । ए॒व । इ॒न्द्र॒ऽध॒नु: ॥१.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स एकव्रात्योऽभवत्स धनुरादत्त तदेवेन्द्रधनुः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । एकऽव्रात्य: । अभवत् । स: । धनु: । आ । अदत्त । तत् । एव । इन्द्रऽधनु: ॥१.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 15; सूक्त » 1; मन्त्र » 6

    भाषार्थ -
    (सः) वह प्रजापति-परमेश्वर (एक व्रात्यः) अब तक अकेला-व्रात्य (अभवत्) था, (सः) उस ने (धनुःआदत्त) धनुष ग्रहण किया, (तत्) वह धनुष (इन्द्रधनुः एव) इन्द्रधनुष ही है।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top