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अथर्ववेद > काण्ड 15 > सूक्त 15

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  • अथर्ववेद - काण्ड 15/ सूक्त 15/ मन्त्र 2
    सूक्त - अध्यात्म अथवा व्रात्य देवता - आसुरी बृहती छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त

    स॒प्त प्रा॒णाःस॒प्तापा॒नाः स॒प्त व्या॒नाः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स॒प्त । प्रा॒णा: । स॒प्त । अ॒पा॒ना: । स॒प्त । वि॒ऽआना: ॥१५.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सप्त प्राणाःसप्तापानाः सप्त व्यानाः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सप्त । प्राणा: । सप्त । अपाना: । सप्त । विऽआना: ॥१५.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 15; सूक्त » 15; मन्त्र » 2

    भाषार्थ -
    (सप्त)(प्राणः) प्राण, (सप्त)(अपानाः) अपान और (सप्त)(व्यानाः) व्यान है।

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