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अथर्ववेद > काण्ड 16 > सूक्त 5

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  • अथर्ववेद - काण्ड 16/ सूक्त 5/ मन्त्र 9
    सूक्त - दुःस्वप्ननासन देवता - प्राजापत्या गायत्री छन्दः - यम सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त

    अन्त॑कोऽसिमृ॒त्युर॑सि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अन्त॑क: । अ॒सि॒ । मृ॒त्यु: । अ॒सि॒ ॥५.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अन्तकोऽसिमृत्युरसि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अन्तक: । असि । मृत्यु: । असि ॥५.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 5; मन्त्र » 9

    भाषार्थ -
    हे सुस्वप्न ! (अन्तकः असि) दुष्वप्न्य को समाप्त करने वाला तु है, (मृत्युः असि) उस के लिए मृत्युरूप तू है।

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