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अथर्ववेद > काण्ड 16 > सूक्त 9

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  • अथर्ववेद - काण्ड 16/ सूक्त 9/ मन्त्र 3
    सूक्त - सूर्य देवता - साम्नी पङ्क्ति छन्दः - यम सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त

    अग॑न्म॒ स्वःस्वरगन्म॒ सं सूर्य॑स्य॒ ज्योति॑षागन्म ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अग॑न्म । स्व᳡: । स्व᳡: । अ॒ग॒न्म॒ । सम् । सूर्य॑स्य । ज्योति॑षा । अ॒ग॒न्म॒ ॥९.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अगन्म स्वःस्वरगन्म सं सूर्यस्य ज्योतिषागन्म ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अगन्म । स्व: । स्व: । अगन्म । सम् । सूर्यस्य । ज्योतिषा । अगन्म ॥९.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 9; मन्त्र » 3

    भाषार्थ -
    (अगन्म) प्राप्त हुए हैं हम (स्वः) सांसारिक सुख को, (स्वः) सांसारिक सुख को (अगन्म) हम प्राप्त हुए हैं, (सूर्यस्य) सूर्य की (ज्योतिषा) ज्योति के साथ (सम्, अगन्म) हम संगत हुए हैं।

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