अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 23/ मन्त्र 3
इ॒मा ब्रह्म॑ ब्रह्मवाहः क्रि॒यन्त॒ आ ब॒र्हिः सी॑द। वी॒हि शू॑र पुरो॒डाश॑म् ॥
स्वर सहित पद पाठइ॒मा । ब्रह्म॑ । ब्र॒ह्म॒ऽवा॒ह॒: । क्रि॒यन्ते॑ ।आ । ब॒र्हि: । सी॒द॒ । वी॒हि । शू॒र॒ । पु॒रो॒लाश॑म् ॥२३.३॥
स्वर रहित मन्त्र
इमा ब्रह्म ब्रह्मवाहः क्रियन्त आ बर्हिः सीद। वीहि शूर पुरोडाशम् ॥
स्वर रहित पद पाठइमा । ब्रह्म । ब्रह्मऽवाह: । क्रियन्ते ।आ । बर्हि: । सीद । वीहि । शूर । पुरोलाशम् ॥२३.३॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 23; मन्त्र » 3
भाषार्थ -
(ब्रह्मवाहः) ब्रह्म को प्राप्त करानेवाली (इमा) ये (ब्रह्म) ब्राह्मी-स्तुतियाँ (क्रियन्ते) की जा रही हैं। (बर्हिः) हृदयासन पर (आ सीद) आ विराजिए। (शूर) हे पराक्रमशील! (पुरोलाशम्) देय भक्तिरस आपके समक्ष है, इसे आप (वीहि) स्वीकार कीजिए।
टिप्पणी -
[पुरोलाशम्=पुरोडाशम्=पुरः देयम्। दाशृ दाने।]