अथर्ववेद - काण्ड 8/ सूक्त 10/ मन्त्र 3
सूक्त - अथर्वाचार्यः
देवता - विराट्
छन्दः - एपदा याजुषी गायत्री
सूक्तम् - विराट् सूक्त
तामुपा॑ह्वयन्त ॥
स्वर सहित पद पाठताम् । उप॑ । अ॒ह्व॒य॒न्त॒ ॥११.३॥
स्वर रहित मन्त्र
तामुपाह्वयन्त ॥
स्वर रहित पद पाठताम् । उप । अह्वयन्त ॥११.३॥
अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 10;
पर्यायः » 2;
मन्त्र » 3
भाषार्थ -
(ताम्) उस विराट को (उप१) समीप (अह्वयत१) उन्होंने बुलाया।
टिप्पणी -
[१. उपाहूयन्त= अथवा समादर पूर्वक बुलाया।]