Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 129

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 129/ मन्त्र 6
    सूक्त - देवता - प्रजापतिः छन्दः - याजुषी गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    क्वाह॑तं॒ परा॑स्यः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    क्व । आह॑त॒म् । परा॑स्य: ॥१२९.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    क्वाहतं परास्यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    क्व । आहतम् । परास्य: ॥१२९.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 129; मन्त्र » 6

    भाषार्थ -
    (সাধুম্) সাধু [কার্য সাধনকারী], (হিরণ্যযম্) তেজোময় (পুত্রম্) পুত্রকে [সন্তানকে] (ক্ব) কোথায় (আহতম্) তাড়িত করে (পরাস্যঃ) তুমি দূরে নিক্ষেপ করেছো॥৫, ৬॥

    भावार्थ - সৃষ্টির মাঝে মা নিজের পুরুষের প্রতি প্রীতিপূর্বক সন্তান উৎপন্ন করে, সেই সন্তানকে কুমার্গ থেকে রক্ষা করে তেজস্বী ও সদাচারী করুক ॥৩-৬॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top