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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 130

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 12
    सूक्त - देवता - प्रजापतिः छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    प्रदुद्रु॑दो॒ मघा॑प्रति ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    प्रदुद्रु॑द॒: । मघा॑प्रति ॥१३०.१२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    प्रदुद्रुदो मघाप्रति ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    प्रदुद्रुद: । मघाप्रति ॥१३०.१२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 12

    भाषार्थ -
    হে গুরুদেব! আপনি (মঘা=মঘানি প্রতি) আধ্যাত্মিক-সম্পত্তির প্রতি আমাদের (প্রদুদ্রুদঃ) বিশেষ-প্রগতি প্রদান করেছেন, বা সাংসারিক সম্পত্তির প্রতি আমাদের অভিলাষাকে আপনি প্রদ্রুত করেছেন, দূর করেছেন।

    - [প্রদুদ্রুদঃ=প্র+দ্রু (যঙ্লুক্)+দা।]

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