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  • यजुर्वेद - अध्याय 10/ मन्त्र 3
    ऋषिः - वरुण ऋषिः देवता - अपां पतिर्देवता छन्दः - अभिकृतिः,निचृत् जगती, स्वरः - ऋषभः, निषादः
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    अ॒र्थेत॑ स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ दत्त॒ स्वाहा॒र्थेत॑ स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ द॒त्तौज॑स्वती स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ दत्त॒ स्वाहौज॑स्वती स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ द॒त्तापः॑ परिवा॒हिणी॑ स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ दत्त॒ स्वाहापः॑ परिवा॒हिणी॑ स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ दत्ता॒पां पति॑रसि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे देहि॒ स्वाहा॒ऽपां पति॑रसि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ देह्य॒पां गर्भो॑ऽसि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ देहि॒ स्वाहा॒ऽपां गर्भो॑ऽसि राष्ट्र्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ देहि॥३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒र्थेत॒ इत्य॑र्थ॒ऽइ॑तः। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। द॒त्त॒। स्वाहा॑। अ॒र्थेत॒ इत्य॑र्थ॒ऽइतः॑। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। द॒त्त॒। ओज॑स्वतीः। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। द॒त्त॒। स्वाहा॑। ओज॑स्वतीः। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मु॒ष्मै॑। द॒त्त॒। आपः॑। प॒रिवा॒हिणीः॑। प॒रि॒वा॒हिनी॒रिति॑ परिऽवा॒हिनीः॑। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। द॒त्त॒। स्वाहा॑। आपः॑। प॒रिवा॒हिणीः॑। प॒रि॒वा॒हिनी॒रिति॑ परिऽवा॒हिनीः॑। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। द॒त्त॒। अ॒पाम्। पतिः॑। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। दे॒हि॒। स्वाहा॑। अ॒पाम्। पतिः॑। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। दे॒हि॒। अ॒पाम्। गर्भः॑। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। दे॒हि॒। स्वाहा॑। अ॒पाम्। गर्भः॑। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। दे॒हि॒ ॥३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अर्थेत स्थ राष्ट्रदा राष्ट्रं मे दत्त देह्यर्थेत स्थ राष्ट्रदा राष्ट्रममुष्मै दत्तौजस्वती स्थ राष्ट्रदा राष्ट्रम्मे दत्त स्वाहौजस्वती स्थ राष्ट्रदा राष्ट्रममुष्मै दत्तापः परिवाहिणी स्थ राष्ट्रदा राष्ट्रम्मे दत्त स्वाहापः परिवाहिणी स्थ राष्ट्रदा राष्ट्रममुष्मै दत्तापम्पतिरसि राष्ट्रदा राष्ट्रम्मे देहि स्वाहापाम्पतिरसि राष्ट्रदा राष्ट्रममुष्मै देह्यपाङ्गर्भासि राष्ट्रदा राष्ट्रम्मे देहि स्वाहापाङ्गर्भासि राष्ट्रदा राष्ट्रममुष्मै देहि सूर्यत्वचस स्थ ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अर्थेत इत्यर्थऽइतः। स्थ। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। मे। दत्त। स्वाहा। अर्थेत इत्यर्थऽइतः। स्थ। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। अमुष्मै। दत्त। ओजस्वतीः। स्थ। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। मे। दत्त। स्वाहा। ओजस्वतीः। स्थ। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। अमुष्मै। दत्त। आपः। परिवाहिणीः। परिवाहिनीरिति परिऽवाहिनीः। स्थ। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। मे। दत्त। स्वाहा। आपः। परिवाहिणीः। परिवाहिनीरिति परिऽवाहिनीः। स्थ। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। अमुष्मै। दत्त। अपाम्। पतिः। असि। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। मे। देहि। स्वाहा। अपाम्। पतिः। असि। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। अमुष्मै। देहि। अपाम्। गर्भः। असि। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। मे। देहि। स्वाहा। अपाम्। गर्भः। असि। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। अमुष्मै। देहि॥३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 10; मन्त्र » 3
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    अन्वयः - हे मनुष्याः! ये यूयमर्थेतस्सन्तः स्वाहा राष्ट्रदाः स्थ ते मे राष्ट्रं दत्त। ये यूयमर्थेतः सन्तो राष्ट्रदाः स्थ तेऽमुष्मै राष्ट्रं दत्त या यूयं स्वाहौजस्वतीः सत्यो राष्ट्रदाः स्थ ता मे राष्ट्रं दत्त। या ओजस्वती राष्ट्रदाः स्थ ता अमुष्मै राष्ट्रं दत्त। या यूयं स्वाहा परिवाहिणी राष्ट्रदाः स्थ ता मे राष्ट्रं दत्त। या यूयं परिवाहिणीरापो राष्ट्रदाः स्थ ता अमुष्मै राष्ट्रं दत्त। यस्त्वं अपां पतिरसि सोऽमुष्मै राष्ट्रं देहि। यस्त्वं स्वाहा राष्ट्रदा अपां गर्भोऽसि, स त्वं मे राष्ट्रं देहि। यस्त्वं राष्ट्रदा अपां गर्भोऽसि सोऽमुष्मै राष्ट्रं देहि॥३॥

    पदार्थः -
    (अर्थेतः) येऽर्थं यन्ति (स्थ) भवत (राष्ट्रदाः) राज्यप्रदाः सभासदः (राष्ट्रम्) राज्यम् (मे) मह्यम् (दत्त) (स्वाहा) सत्यया वाचा (अर्थेतः) (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (दत्त) (ओजस्वतीः) विद्याबलपराक्रमयुक्ता राजस्त्रियः (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (मे) मह्यम् (दत्त) (स्वाहा) न्याययुक्त्या नीत्या (ओजस्वतीः) जितेन्द्रियाः (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (दत्त) (आपः) जलप्राणवत् प्रियाः (परिवाहिणीः) स्वसदृशान् पतीन् परि वोढुं शीलाः (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (मे) (दत्त) (स्वाहा) विनययुक्त्या वाण्या (आपः) (परिवाहिणीः) (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (दत्त) (अपाम्) पूर्वोक्तानाम् (पतिः) पालकः (असि) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (मे) (देहि) (स्वाहा) प्रियया वाचा (अपाम्) प्राणानाम् (पतिः) रक्षकः (असि) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (देहि) (अपाम्) (गर्भः) अन्तर्हितः (असि) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (मे) (देहि) (स्वाहा) युक्तिमत्या वाचा (अपाम्) (गर्भः) स्तोतुं योग्यः (असि) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (देहि)॥ अयं मन्त्रः (शत॰ ५। ३। ४। ७-११) व्याख्यातः॥३॥

    भावार्थः - ये पुरुषा राजानो या राजस्त्रियश्च स्युस्ताः स्वोत्कर्षार्थं परोत्कर्षसहनं सर्वान् मनुष्यान् विद्यासुशिक्षायुक्तांश्च कृत्वा राज्यभागिनो राज्यसेवन्यश्च स्युः। न खल्वीर्ष्यया परेषां हानिकरणात् स्वराज्यभ्रंशमाकारयेयुः॥३॥

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