Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 33/ मन्त्र 72
    ऋषिः - दक्ष ऋषिः देवता - विद्वान् देवता छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
    7

    काव्य॑योरा॒जाने॑षु॒ क्रत्वा॒ दक्ष॑स्य दुरो॒णे।रि॒शाद॑सा स॒धस्थ॒ऽआ॥७२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    काव्य॑योः। आ॒जाने॒ष्वित्या॒ऽजाने॑षु। क्रत्वा॑। दक्ष॑स्य। दु॒रो॒णे। रि॒शाद॑सा। स॒धस्थ॒ इति॑ स॒धऽस्थे॑। आ ॥७२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    काव्ययोराजानेषु क्रत्वा दक्षस्य दुरोणे । रिशादसा सधस्थऽआ ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    काव्ययोः। आजानेष्वित्याऽजानेषु। क्रत्वा। दक्षस्य। दुरोणे। रिशादसा। सधस्थ इति सधऽस्थे। आ॥७२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 33; मन्त्र » 72
    Acknowledgment

    Meaning -
    O teacher and preacher, the dispellers of the sins of nescience, come ye with force of intellect to the study circles where are studied the works of poets on worldly and spiritual topics, to the meeting place and the dwelling of a scholarly person.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top