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  • अथर्ववेद - काण्ड 15/ सूक्त 14/ मन्त्र 4
    सूक्त - अध्यात्म अथवा व्रात्य देवता - द्विपदासुरी गायत्री छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त

    बले॑नान्ना॒देनान्न॑मत्ति॒ य ए॒वं वेद॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    बले॑न । अ॒न्न॒ऽअ॒देन॑ । अन्न॑म् । य: । ए॒वम् । वेद॑ ॥१४.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    बलेनान्नादेनान्नमत्ति य एवं वेद ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    बलेन । अन्नऽअदेन । अन्नम् । य: । एवम् । वेद ॥१४.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 15; सूक्त » 14; मन्त्र » 4

    Meaning -
    The man who knows this eats food, taking, and thus making, strength as the consumer of food (and thus he gains strength in consequence).

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