Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 70

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 70/ मन्त्र 18
    सूक्त - मधुच्छन्दाः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-७०

    नि येन॑ मुष्टिह॒त्यया॒ नि वृ॒त्रा रु॒णधा॑महै। त्वोता॑सो॒ न्यर्व॑ता ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नि । येन॑ । मु॒ष्टि॒ऽह॒त्यया॑ । नि । वृ॒त्रा । रु॒णधा॑महै ॥ त्वाऽऊ॑तास: । नि । अर्व॑ता ॥७०.१८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नि येन मुष्टिहत्यया नि वृत्रा रुणधामहै। त्वोतासो न्यर्वता ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    नि । येन । मुष्टिऽहत्यया । नि । वृत्रा । रुणधामहै ॥ त्वाऽऊतास: । नि । अर्वता ॥७०.१८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 70; मन्त्र » 18

    Meaning -
    Indra, lord of power and glory, give us that strength of life and character whereby, under your blessed protection, we may hold back the enemy, evil and darkness with less than a blow of the fist and less than a dart of the lance.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top