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अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 18

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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 18/ मन्त्र 4
    सूक्त - अथर्वा देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - आर्च्यनुष्टुप् सूक्तम् - सुरक्षा सूक्त

    वरु॑णं॒ त आ॑दि॒त्यव॑न्तमृच्छन्तु। ये मा॑ऽघा॒यव॑ ए॒तस्या॑ दि॒शोऽभि॒दासा॑त् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वरु॑णम्। ते। आ॒दि॒त्यऽव॑न्तम्। ऋ॒च्छ॒न्तु॒। ये। मा॒। अ॒घ॒ऽयवः॑। ए॒तस्याः॑। दि॒शः। अ॒भि॒ऽदासा॑त् ॥१८.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वरुणं त आदित्यवन्तमृच्छन्तु। ये माऽघायव एतस्या दिशोऽभिदासात् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    वरुणम्। ते। आदित्यऽवन्तम्। ऋच्छन्तु। ये। मा। अघऽयवः। एतस्याः। दिशः। अभिऽदासात् ॥१८.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 18; मन्त्र » 4

    टिप्पणीः - ४−(वरुणम्) सर्वोत्तमं परमेश्वरम् (आदित्यवन्तम्) प्रकाशमानगुणानां स्वामिनम्। अन्यत् पूर्ववत् ॥

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