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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 12
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - साम्न्युष्णिक् सूक्तम् - गौ सूक्त

    क्षुत्कु॒क्षिरिरा॑ वनि॒ष्ठुः पर्व॑ताः प्ला॒शयः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    क्षुत् । कु॒क्षि: । इरा॑ । व॒नि॒ष्ठु: । पर्व॑ता: । प्ला॒शय॑: ॥१२.१२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    क्षुत्कुक्षिरिरा वनिष्ठुः पर्वताः प्लाशयः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    क्षुत् । कुक्षि: । इरा । वनिष्ठु: । पर्वता: । प्लाशय: ॥१२.१२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 12

    भावार्थ -
    (क्षुत् कुक्षिः) भूख उसकी कोंख है, (इरा वनिष्टुः) इरा=अन्न या जल उसकी वनिष्ठु गुदा या बड़ी आंत है, (पर्वताः) पर्वत मेघ (प्लाशयः) प्लाशियें, छोटी आंतें हैं।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - ब्रह्मा ऋषिः। गोदेवता। १ आर्ची उष्णिक्, ३, ५, अनुष्टुभौ, ४, १४, १५, १६ साम्न्यौ बृहत्या, ६,८ आसुयौं गायत्र्यौ। ७ त्रिपदा पिपीलिकमध्या निचृदगायत्री। ९, १३ साम्न्यौ गायत्रौ। १० पुर उष्णिक्। ११, १२,१७,२५, साम्नयुष्णिहः। १८, २२, एकपदे आसुरीजगत्यौ। १९ आसुरी पंक्तिः। २० याजुषी जगती। २१ आसुरी अनुष्टुप्। २३ आसुरी बृहती, २४ भुरिग् बृहती। २६ साम्नी त्रिष्टुप्। इह अनुक्तपादा द्विपदा। षड्विंशर्चं एक पर्यायसूक्तम्॥

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