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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 7/ मन्त्र 6
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - आसुरी गायत्री सूक्तम् - गौ सूक्त

    दे॒वानां॒ पत्नीः॑ पृ॒ष्टय॑ उप॒सदः॒ पर्श॑वः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    दे॒वाना॑म् । पत्नी॑: । पृ॒ष्टय॑: । उ॒प॒ऽसद॑: । पर्श॑व: ॥१२.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    देवानां पत्नीः पृष्टय उपसदः पर्शवः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    देवानाम् । पत्नी: । पृष्टय: । उपऽसद: । पर्शव: ॥१२.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 6

    भावार्थ -
    (देवानां पत्नीः) देवों, विद्वानों की स्त्रियां (पृष्टयः) पृष्टि अर्थात् पीठ के मोहरे हैं (उपसदः पशवः) उपसद् इष्टियां उसकी पर्शु=पसुलियां हैं।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - ब्रह्मा ऋषिः। गोदेवता। १ आर्ची उष्णिक्, ३, ५, अनुष्टुभौ, ४, १४, १५, १६ साम्न्यौ बृहत्या, ६,८ आसुयौं गायत्र्यौ। ७ त्रिपदा पिपीलिकमध्या निचृदगायत्री। ९, १३ साम्न्यौ गायत्रौ। १० पुर उष्णिक्। ११, १२,१७,२५, साम्नयुष्णिहः। १८, २२, एकपदे आसुरीजगत्यौ। १९ आसुरी पंक्तिः। २० याजुषी जगती। २१ आसुरी अनुष्टुप्। २३ आसुरी बृहती, २४ भुरिग् बृहती। २६ साम्नी त्रिष्टुप्। इह अनुक्तपादा द्विपदा। षड्विंशर्चं एक पर्यायसूक्तम्॥

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