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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 151 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 151/ मन्त्र 4
    ऋषि: - श्रद्धा कामायनी देवता - श्रद्धा छन्दः - अनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः

    श्र॒द्धां दे॒वा यज॑माना वा॒युगो॑पा॒ उपा॑सते । श्र॒द्धां हृ॑द॒य्य१॒॑याकू॑त्या श्र॒द्धया॑ विन्दते॒ वसु॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    श्र॒द्धाम् । दे॒वाः । यज॑मानाः । वा॒युऽगो॑पाः । उप॑ । आ॒स॒ते॒ । श्र॒द्धाम् । हृ॒द॒य्य॑या । आऽकू॑त्या । श्र॒द्धया॑ । वि॒न्द॒ते॒ । वसु॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    श्रद्धां देवा यजमाना वायुगोपा उपासते । श्रद्धां हृदय्य१याकूत्या श्रद्धया विन्दते वसु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    श्रद्धाम् । देवाः । यजमानाः । वायुऽगोपाः । उप । आसते । श्रद्धाम् । हृदय्यया । आऽकूत्या । श्रद्धया । विन्दते । वसु ॥ १०.१५१.४

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 151; मन्त्र » 4
    अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 9; मन्त्र » 4
    Acknowledgment

    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (देवाः) मुमुक्षु विद्वान् (हृदय्यया-आकूत्या) हृदयस्थ अहंकृति-संकल्पवृत्ति से (श्रद्धाम्) सदिच्छा को पूरा करते हैं (यजमानाः) यजनशील (वायुगोपाः) प्राणायामों के द्वारा होम से सुगन्धित वायु जिनका रक्षक है, ऐसे लोग सदिच्छा को पूरा करते हैं (श्रद्धया वसु विन्दते) सदिच्छा से बसानेवाले धन को प्राप्त करते हैं ॥४॥

    भावार्थ

    मुमुक्षु जन हृदयस्थ संकल्पवृत्ति से अपनी सदिच्छा को पूरा कर सकते हैं, यज्ञ करनेवाले सुगन्धित वायु को लेते हुए स्वास्थ्यसम्बन्धी इच्छा को पूरा करते हैं और सदिच्छा से आवश्यक वसानेवाले धन को भी प्राप्त किया जा सकता है ॥४॥

    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (देवाः-हृदय्यया-आकूत्या श्रद्धाम्) मुमुक्षवो विद्वांसो हृदयस्था-हङ्कृत्या श्रद्धां सदिच्छां सेवन्ते पूरयन्ति (यजमानाः-वायुगोपाः श्रद्धाम्-उपासते) यजनशीलाः प्राणायामैर्वायू रक्षको येषां ते तथाभूताः श्रद्धां सदिच्छां सेवन्ते ते (श्रद्धया वसु विन्दते) सदिच्छया वासकं धनं लभन्ते ॥४॥

    English (1)

    Meaning

    Divinities of nature and humanity, performers of yajna, all protected by the universal energy of Vayu in meditation, love and value Shraddha without compromise. Shraddha, unshakable faith, which is heartfelt and unquestionable in conviction, deserves and earns wealth, honour and excellence in life. This is possible only by Shraddha.

    मराठी (1)

    भावार्थ

    मुमुक्षू लोक हृदयातील संकल्पवृत्तीने आपली सदिच्छा पूर्ण करू शकतात. यज्ञ करणारे सुगंधित वायू प्रसृत करून स्वास्थ्यासंबंधी इच्छा पूर्ण करतात. सदिच्छेने आवश्यक धन प्राप्त करता येऊ शकते. ॥४॥

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