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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 33 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 33/ मन्त्र 6
    ऋषिः - त्रितः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    रा॒यः स॑मु॒द्राँश्च॒तुरो॒ऽस्मभ्यं॑ सोम वि॒श्वत॑: । आ प॑वस्व सह॒स्रिण॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    रा॒यः । स॒मु॒द्रान् । च॒तुरः॑ । अ॒स्मभ्य॑म् । सो॒म॒ । वि॒श्वतः॑ । आ । प॒व॒स्व॒ । स॒ह॒स्रिणः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    रायः समुद्राँश्चतुरोऽस्मभ्यं सोम विश्वत: । आ पवस्व सहस्रिण: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    रायः । समुद्रान् । चतुरः । अस्मभ्यम् । सोम । विश्वतः । आ । पवस्व । सहस्रिणः ॥ ९.३३.६

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 33; मन्त्र » 6
    अष्टक » 6; अध्याय » 8; वर्ग » 23; मन्त्र » 6
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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (सोम) हे परमात्मन् ! (सहस्रिणः रायः) विविधैश्वर्यान् (चतुरः समुद्रान्) शब्दरूपजलानां वेदवारिधीन् (अस्मभ्यम्) नः (विश्वतः) सुतरां (आ पवस्व) देहि ॥६॥ इति त्रयस्त्रिंशत्तमं सूक्तं त्रयोविंशो वर्गश्च समाप्तः ॥

    हिन्दी (1)

    पदार्थ

    (सोम) हे परमात्मन् ! (सहस्रिणः रायः) अनेक प्रकार के ऐश्वर्यवाले (चतुरः समुद्रान्) शब्दरूपी जल के चारों वेदरूपी समुद्रों को (अस्मभ्यम्) हमारे लिये (विश्वतः) भली प्रकार (आ पवस्व) दीजिये ॥६॥

    भावार्थ

    परमात्मा के पास नाना प्रकार के रत्नों के भरे हुए अनन्त समुद्र हैं, परन्तु शब्दार्णवरूप समुद्रों से सब प्रकार के ऐश्वर्य उत्पन्न होते हैं, इससे परमात्मा से शब्दार्णवरूप समुद्र की प्रार्थना करनी चाहिये ॥६॥ यह ३३ वाँ सूक्त और २३ वाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥

    इंग्लिश (1)

    Meaning

    Flow free, O Soma, divine power, pure and bright, bring us from all around the four oceans of wealth and knowledge a thousandfold.

    मराठी (1)

    भावार्थ

    परमेश्वराजवळ नाना प्रकारच्या रत्नांनी भरलेले अनंत समुद्र आहेत; परंतु शब्दार्णवरूप समुद्राद्वारे सर्व प्रकारचे ऐश्वर्य उत्पन्न होते. त्यासाठी शब्दार्णवरूप समुद्राची प्रार्थना केली पाहिजे. ॥६॥

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