Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 15 के सूक्त 18 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 18/ मन्त्र 1
    सूक्त - अध्यात्म अथवा व्रात्य देवता - दैवी पङ्क्ति छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त
    54

    तस्य॒व्रात्य॑स्य ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    तस्य॑ । व्रात्य॑स्य ॥१८.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तस्यव्रात्यस्य ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    तस्य । व्रात्यस्य ॥१८.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 15; सूक्त » 18; मन्त्र » 1
    Acknowledgment

    हिन्दी (1)

    विषय

    व्रात्य के सामर्थ्य का उपदेश।

    पदार्थ

    (तस्य) उस (व्रात्यस्य) व्रात्य [सत्यव्रतधारी अतिथि] की ॥१॥

    भावार्थ

    आप्त संन्यासी पूर्णदृष्टि से सब मर्यादाओं को जाँचकर अपनी विद्या से सूर्य चन्द्रमा के समान उपकारकरता है ॥१, २॥

    टिप्पणी

    १, २−(यत्) (अस्य) (दक्षिणम्) अवामम् (अक्षि) नेत्रम् (असौ) (सः) प्रसिद्धः (आदित्यः) आदीप्यमानःसूर्यः (सव्यम्) वामम् (चन्द्रमाः) आह्लादकश्चन्द्रलोकः। अन्यत् पूर्ववत् सुगमंच ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Vratya-Prajapati daivatam

    Meaning

    Of that Vratya, lord of eternal law, ...

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १, २−(यत्) (अस्य) (दक्षिणम्) अवामम् (अक्षि) नेत्रम् (असौ) (सः) प्रसिद्धः (आदित्यः) आदीप्यमानःसूर्यः (सव्यम्) वामम् (चन्द्रमाः) आह्लादकश्चन्द्रलोकः। अन्यत् पूर्ववत् सुगमंच ॥

    Top