अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 93/ मन्त्र 2
प॒दा प॒णीँर॑रा॒धसो॒ नि बा॑धस्व म॒हाँ अ॑सि। न॒हि त्वा॒ कश्च॒न प्रति॑ ॥
स्वर सहित पद पाठप॒दा । प॒णीन् । अ॒रा॒धस॑: । नि । बा॒ध॒स्व॒ । म॒हान् । अ॒सि॒ ॥ न॒हि । त्वा॒ । क: । च॒न । प्रति॑ ॥९३.२॥
स्वर रहित मन्त्र
पदा पणीँरराधसो नि बाधस्व महाँ असि। नहि त्वा कश्चन प्रति ॥
स्वर रहित पद पाठपदा । पणीन् । अराधस: । नि । बाधस्व । महान् । असि ॥ नहि । त्वा । क: । चन । प्रति ॥९३.२॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
परमेश्वर की उपासना का उपदेश।
पदार्थ
[हे परमेश्वर !] तू (पदा) अपनी व्याप्ति से (अराधसः) आराधना न करनेवाले (पणीन्) कुव्यवहारी पुरुषों को (नि बाधस्व) रोकता रह, तू (महान्) महान् (असि) है। (कः चन) कोई भी (त्वा प्रति) तेरे समान (नहि) नहीं है ॥२॥
भावार्थ
परमात्मा सर्वव्यापक होकर दुष्टों का नाश और धर्मात्माओं की रक्षा करता है ॥२॥
टिप्पणी
२−(पदा) पद गतौ स्थैर्ये च-क्विप्। गत्या। व्याप्त्या (पणीन्) कुव्यवहारिणः पुरुषान् (अराधसः) अराधसमनाराधयन्तम्-निरु० ।१७। अनाराधनाशीलान् (नि) नितराम् (बाधस्व) विलोडय। अपवृणु (महान्) (असि) (नहि) (कश्चन) कश्चिदपि (त्वा प्रति) त्वया सदृशः ॥
विषय
अराधस् पणियों का विनाश पदा
पदार्थ
१. हे (इन्द्र) = ! आप (पणीन्) = लोभयुक्त व्यवहारवाले (अराधसः) = यज्ञों के असाधक धनोंवाले धनियों को (पदा) = पाँव से (निबाधस्व) = नीचे पीड़ित कीजिए-इन्हें पाँव तले रौंद डालिए। महान् (असि) = आप पूज्य हैं। २. हे प्रभो! (कश्चन) = कोई भी (त्वा प्रति नहि) = आपका मुकाबला करनेवाला नहीं है। आप अद्वितीय शक्तिशाली हैं।
भावार्थ
प्रभु लोभी व अयज्ञिय वृत्तिवाले धनियों को विनष्ट करते हैं।
भाषार्थ
हे परमेश्वर! (अराधसः) आराधना-विहीन (पणीन्) हमारी व्यावहारिक-भावनाओं को (पदा) मानो पैर की ठोकर द्वारा आप (नि बाधस्व) दूर कर दीजिए, आप (महान् असि) महान् है। (कश्चन) कोई भी शक्ति (त्वा) आपका (प्रति नहि) प्रतिरोध नहीं कर सकती।
टिप्पणी
[पदा=अथवा वैदिकपदों द्वारा।]
विषय
ईश्वर स्तुति।
भावार्थ
(अराधसः) ऐश्वर्य एवं आराधना आदि से रहित (पणीन्) केवल लोक व्यवहार में चतुर लोभी पुरुष को तू (पदा) पैर से (नि बाधस्व) पीड़ित कर। तू (महान् असि) सबसे महान् है (त्वा प्रति) तेरे मुकाबले पर (नहि कः चन) कोई भी नहीं है।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
१-३ प्रगाथः ऋषिः। ४-८ देवजामय इन्द्रमातरः। इन्द्रो देवता। गायत्र्यः। अष्टर्चं सूक्तम्।
इंग्लिश (4)
Subject
Brhaspati Devata
Meaning
Keep off, down under foot the haves who hoard and share not. You are great, simply great, the only one. There is none equal, alike or more.
Translation
O Almighty God, you are mighty. There is none to equal you, You abstruct the fowl play of the parsimonious men the unrighteous ones by your word (Pada), the vedic knowledge.
Translation
O Almighty God, you are mighty. There is none to equal you, You abstruct the fowl play of the parsimonious men the unrighteous ones by your word (Pada), the vedic knowledge.
Translation
Thou art the Load of the created world as well as of the uncreated matter. Thou art the Radiant King of all people.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२−(पदा) पद गतौ स्थैर्ये च-क्विप्। गत्या। व्याप्त्या (पणीन्) कुव्यवहारिणः पुरुषान् (अराधसः) अराधसमनाराधयन्तम्-निरु० ।१७। अनाराधनाशीलान् (नि) नितराम् (बाधस्व) विलोडय। अपवृणु (महान्) (असि) (नहि) (कश्चन) कश्चिदपि (त्वा प्रति) त्वया सदृशः ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
পরমেশ্বরোপাসনোপদেশঃ
भाषार्थ
[হে পরমেশ্বর !] তুমি (পদা) নিজ ব্যাপ্তি দ্বারা (অরাধসঃ) আরাধনা করে না এমন (পণীন্) কু-ব্যবহারসম্পন্ন মনুষ্যদের (নি বাধস্ব) প্রতিরোধ করো, তুমি (মহান্) মহান্ (অসি) হও। (কঃ চন) কেউ-ই (ত্বা প্রতি) তোমার সমান (নহি) নয় ॥২॥
भावार्थ
পরমাত্মা সর্বব্যাপক হয়ে দুষ্টদের দমন ও ধর্মাত্মাদের রক্ষা করেন॥২॥
भाषार्थ
হে পরমেশ্বর! (অরাধসঃ) আরাধনা-বিহীন (পণীন্) আমাদের ব্যবহারিক-ভাবনা-সমূহ (পদা) মানো পদাঘাত দ্বারা আপনি (নি বাধস্ব) দূর করুন, আপনি (মহান্ অসি) মহান্। (কশ্চন) কোনো শক্তি (ত্বা) আপনার (প্রতি নহি) প্রতিরোধ করতে পারে না।
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