अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 17/ मन्त्र 6
ऋषिः - शुक्रः
देवता - अपामार्गो वनस्पतिः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - अपामार्ग सूक्त
58
क्षु॑धामा॒रं तृ॑ष्णामा॒रम॒गोता॑मनप॒त्यता॑म्। अपा॑मार्ग॒ त्वया॑ व॒यं सर्वं॒ तदप॑ मृज्महे ॥
स्वर सहित पद पाठक्षु॒धा॒ऽमा॒रम् । तृ॒ष्णा॒ऽमा॒रम् । अ॒गोता॑म् । अ॒न॒प॒ऽत्यता॑म् । अपा॑मार्ग: । त्वया॑ । व॒यम् । सर्व॑म् । तत् । अप॑ । मृ॒ज्म॒हे॒ ॥१७.६॥
स्वर रहित मन्त्र
क्षुधामारं तृष्णामारमगोतामनपत्यताम्। अपामार्ग त्वया वयं सर्वं तदप मृज्महे ॥
स्वर रहित पद पाठक्षुधाऽमारम् । तृष्णाऽमारम् । अगोताम् । अनपऽत्यताम् । अपामार्ग: । त्वया । वयम् । सर्वम् । तत् । अप । मृज्महे ॥१७.६॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
राजा के लक्षणों का उपदेश।
पदार्थ
(क्षुधामारम्) भूख से मरना, (तृष्णामारम्) पियास से मरना, (अगोताम्) गौओं की हानि, और (अनपत्यताम्) बच्चों का अभाव, (तत् सर्वम्) इस सबको, (अपामार्ग) हे सर्वसंशोधक ! [वा अपामार्ग औषध के समान उपकारी राजन् !] (त्वया) तेरे साथ (वयम्) हम (अप मृज्महे) शोधते हैं ॥६॥
भावार्थ
राजा के सुप्रबन्ध से सूखा के समय भी अन्न, जल, गौ, बैल आदि की बहुतायत से मनुष्य यथावत् बढ़ते रहते हैं ॥६॥ (अपामार्ग) का अर्थ सर्वथा संशोधक है, और एक औषध भी है, जिससे कफ, बवासीर, खुजली, उदररोग और विषरोग का नाश होता है ॥६॥
टिप्पणी
६−(क्षुधामारम्) मृञ्-घञ्। क्षुत्पीडया मरणम् (तृष्णामारम्) पिपासया मरणम् (अगोताम्) गवाम् अभावम् (अनपत्यताम्) अपत्यानां राहित्यम् (अपामार्ग) अप+आङ्+मृजू शौचालंकारयोः-घञ्। हे सर्वथा संशोधक। हे अपामार्गौषधवद् उपकारिन् ! अपामार्गपर्य्यायः-अपामार्गः शैखरिको धामार्गावमयूरकौ-इत्यमरः, १४।८८। अस्य गणाः। कफार्शः कण्डूदरामयविसषरोगनाशित्वम्-इति शब्दकल्पद्रुमः (त्वया) राज्ञा (वयम्) प्रजागणाः (सर्वम्) (तत्) एतत् [अपमृज्महे] अपमार्जयामः शोधयामः विनाशयामः-इत्यर्थः ॥
विषय
अनपत्यता निवारण
पदार्थ
१.(क्षुधामारम) = भूख की पीड़ा से मनुष्य को मार डालनेवाले [भस्मक रोग] अथवा जिसमें भूख मारी जाती है, उस रोग को (तृष्णामारम्) = जो प्यास के अतिशय से मनुष्य को मार डालता है, अथवा जिसमें प्यास ही नष्ट हो जाती है, (अगोताम्) = इन्द्रियों के शैथिल्य को उत्पन्न करनेवाले रोग को तथा (अनपत्यताम्) = सन्तानहीनता [नपुंसकता] के रोग को हे (अपामार्ग) = अपामार्ग! (त्वया) = तेरे द्वारा (वयम्) = हम (तत् सर्वम्) = उस सबको (अपमृज्महे) = विनष्ट कर डालते हैं।
भावार्थ
हम 'भूख-प्यास' के अभावजनक रोग को, इन्द्रिय-शैथिल्य व नपुंसकता को अपामार्ग के प्रयोग से विनष्ट करते हैं।
भाषार्थ
(क्षुधामारम्) अति क्षुधा द्वारा होनेवाली मृत्यु को, (तृष्णामारम्) अति प्यास द्वारा होनेवाली मृत्यु को, (अगोताम्) वाणी की क्षति को, (अनपत्यताम्) अपत्य के न होने को, अभाव को, (अपामार्ग) हे अपामार्ग औषधि ! (वयम्) हम (त्वया) तेरे द्वारा (तत् सर्वम्) उस सबको (अप मृज्महे) हटाकर शोधन करते हैं, अपने आपका शोधन करते हैं।
टिप्पणी
[अगोताम् =गौः वाङ्नाम (निघं० १।११) अगोप्ता है वाणी का पक्षाघा। अपामार्ग औषधि है। इसके या इसके किसी योग का वर्णन मन्त्र में हुआ है, जोकि मन्त्रोक्त व्याधियों का निराकरण करने में हेतु है।]
विषय
अपामार्ग और अपामार्ग विधान का वर्णन।
भावार्थ
उक्त प्रकार की महाव्याधिनाशक ओषधियों के गुणों को दर्शाते हैं—(क्षुधामारम्) भूख के कारण मारने वाली मृत्यु=भस्मक-रोग को, (तृष्णा-मारम्) तृष्णा के कारण मारने वाले रोग, पित्तदाह को, (अगोताम्) गौ=इन्द्रियों के भीतर शिथिलता प्राप्त कराने वाले और (अनपत्यताम्) बालक आदि का जन्म न होने देने वाले बन्ध्यात्व नपुंसकत्व आदि (सर्वं तद्) समस्त रोगों को, हे (अपामार्ग) रोगविनाशक ओषधे ! (त्वया) तेरे बल से (वयं अपमृज्महे) हम दूर करते हैं। नाना रोगहारी ओषधियों का ‘अपामार्ग’ यह पारिभाषिक नाम प्रतीत होता है।
टिप्पणी
“अपमृज्यते रोगो येन सोऽपामार्गः,अथवा अपमार्जयति इति अपामार्गः।”
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
शुक्र ऋषिः। अपामार्गो वनस्पतिर्देवता। १-८ अनुष्टुभः। अष्टर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Apamarga Herb
Meaning
O Apamarga, destroyer of all want of health and causes of death and disease, with your power and efficacy we ward off and cleanse loss of appetite, diseases concerned with thirst, diseases of the weakness and loss of perceptive senses and dementia, sterility and infertility and all other ailments of body and mind.
Translation
Death due to hunger, death due to thirst, want of cows and want of children all these, O apamarga (the wiper off; Achyranthes aspera) we wipe off with your aid.
Translation
We clean and Wipe away through Apamarga the harm caused by hunger, harm caused by thirst, debility of limbs and childlessness.
Translation
Death caused by famine, caused by thirst, ills of the organs and speech, sterility, with thy use, O Apamarga, all this ill we cleanse and wipe away!
Footnote
Apamarga is an herb, AchyranthesAspera, a biannial plant frequently used as medicine. It is also called Parakpushpa, Pratyakpushpi, and Pratyakparni. This herb cures cough, piles, itch, stomach-ache and other ills. In vernacular it is called Puthkanda.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
६−(क्षुधामारम्) मृञ्-घञ्। क्षुत्पीडया मरणम् (तृष्णामारम्) पिपासया मरणम् (अगोताम्) गवाम् अभावम् (अनपत्यताम्) अपत्यानां राहित्यम् (अपामार्ग) अप+आङ्+मृजू शौचालंकारयोः-घञ्। हे सर्वथा संशोधक। हे अपामार्गौषधवद् उपकारिन् ! अपामार्गपर्य्यायः-अपामार्गः शैखरिको धामार्गावमयूरकौ-इत्यमरः, १४।८८। अस्य गणाः। कफार्शः कण्डूदरामयविसषरोगनाशित्वम्-इति शब्दकल्पद्रुमः (त्वया) राज्ञा (वयम्) प्रजागणाः (सर्वम्) (तत्) एतत् [अपमृज्महे] अपमार्जयामः शोधयामः विनाशयामः-इत्यर्थः ॥
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