अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 20
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - आसुर्यनुष्टुप्
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
ब्र॒ह्मणे॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठब्र॒ह्मणे॑। स्वाहा॑ ॥२२.२०॥
स्वर रहित मन्त्र
ब्रह्मणे स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठब्रह्मणे। स्वाहा ॥२२.२०॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 20
Translation -
Attain knowledge or Supreme Being and appreciate.