Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 16 > सूक्त 6

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 16/ सूक्त 6/ मन्त्र 2
    सूक्त - उषा,दुःस्वप्ननासन देवता - प्राजापत्या अनुष्टुप् छन्दः - यम सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त

    उ॒षोयस्मा॑द्दुः॒ष्वप्न्या॒दभै॒ष्माप॒ तदु॑च्छतु ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उष॑: । यस्मा॑त् । दु॒:ऽस्वप्न्या॑त् । अभै॑ष्म । अप॑ । तत् । उ॒च्छ॒तु॒ ॥६.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उषोयस्माद्दुःष्वप्न्यादभैष्माप तदुच्छतु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उष: । यस्मात् । दु:ऽस्वप्न्यात् । अभैष्म । अप । तत् । उच्छतु ॥६.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 6; मन्त्र » 2

    भाषार्थ -
    (उषः) हे उषा ! (यस्मात्, दुष्वप्न्यात्) जिस दुःष्वप्न के दुष्परिणाम से (अभैष्म) हम भयभीत हुए थे (तद्) वह (अप उच्छतु) हम से दूर हो जाय।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top