अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 9/ मन्त्र 11
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - शान्तिः, मन्त्रोक्ताः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - शान्ति सूक्त
शं रु॒द्राः शं वस॑वः॒ शमा॑दि॒त्याः शम॒ग्नयः॑। शं नो॑ मह॒र्षयो॑ दे॒वाः शं दे॒वाः शं बृह॒स्पतिः॑ ॥
स्वर सहित पद पाठशम्। रु॒द्राः। शम्। वस॑वः। शम्। आ॒दि॒त्याः। शम्। अ॒ग्नयः॑। शम्। नः॒।म॒ह॒ऽऋष॑यः। दे॒वाः। शम्। दे॒वाः। शम्। बृह॒स्पतिः॑ ॥९.११॥
स्वर रहित मन्त्र
शं रुद्राः शं वसवः शमादित्याः शमग्नयः। शं नो महर्षयो देवाः शं देवाः शं बृहस्पतिः ॥
स्वर रहित पद पाठशम्। रुद्राः। शम्। वसवः। शम्। आदित्याः। शम्। अग्नयः। शम्। नः।महऽऋषयः। देवाः। शम्। देवाः। शम्। बृहस्पतिः ॥९.११॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 9; मन्त्र » 11
भाषार्थ -
(रुद्राः) ३६ वर्षों के रुद्र ब्रह्मचारी (शम्) हमें शान्ति प्रदान करें, (वसवः) २४ वर्षों के वसुनामक ब्रह्मचारी (शम्) शान्ति प्रदान करें, (आदित्याः) ४८ वर्षों के आदित्य ब्रह्मचारी (शम्) शान्ति प्रदान करें। (अग्नयः) अग्निहोत्र तथा यज्ञों की अग्नियाँ (शम्) शान्ति प्रदान करें। (महर्षयो देवाः) महर्षिदेव (नः) हमें (शम्) शान्तिप्रदान करें, (देवाः) मातृदेव पितृदेव आचार्यदेव अतिथिदेव आदि दिव्यगुणी (शम्) शान्ति प्रदान करें। (बृहस्पतिः) महती वेदवाणी का पति तथा महाब्रह्माण्ड का पति परमेश्वर (शम्) शान्तिप्रदान करे।
टिप्पणी -
[महर्षयः= जिनके द्वारा चार वेदों का प्रकाश हुआ। इन सबके सदुपदेशों द्वारा सन्मार्गगामी होकर हम जीवनों में शान्ति-लाभ करें।]