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  • यजुर्वेद - अध्याय 6/ मन्त्र 4
    ऋषिः - मेधातिथिर्ऋषिः देवता - विष्णुर्देवता छन्दः - निचृत् आर्षी गायत्री, स्वरः - षड्जः
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    विष्णोः॒ कर्म्मा॑णि पश्यत॒ यतो॑ व्र॒तानि॑ पस्प॒शे। इन्द्र॑स्य॒ युज्यः॒ सखा॑॥४॥

    स्वर सहित पद पाठ

    विष्णोः॑ कर्म्मा॑णि। प॒श्य॒त॒। यतः॒। व्र॒तानि॑। प॒स्प॒शे। इन्द्र॑स्य। युज्यः॑। सखा॑ ॥४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विष्णोः कर्माणि पश्यत यतो व्रतानि पस्पशे । इन्द्रस्य युज्यः सखा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    विष्णोः कर्म्माणि। पश्यत। यतः। व्रतानि। पस्पशे। इन्द्रस्य। युज्यः। सखा॥४॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 6; मन्त्र » 4
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