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  • यजुर्वेद - अध्याय 18/ मन्त्र 77
    ऋषिः - उशना ऋषिः देवता - विश्वेदेवा देवताः छन्दः - निचृद गायत्री स्वरः - षड्जः
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    त्वं य॑विष्ठ दा॒शुषो॒ नॄँः पा॑हि शृणु॒धी गिरः॑। रक्षा॑ तो॒कमु॒त त्मना॑॥७७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त्वम्। य॒वि॒ष्ठ॒। दा॒शुषः॑। नॄन्। पा॒हि॒। शृ॒णु॒धि। गिरः॑। रक्ष॑। तो॒कम्। उ॒त। त्मना॑ ॥७७ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    त्वँयविष्ठ दाशुषो नऋृँ पाहि शृणुधी गिरः । रक्षा तोकमुत त्मना ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    त्वम्। यविष्ठ। दाशुषः। नॄन्। पाहि। शृणुधि। गिरः। रक्ष। तोकम्। उत। त्मना॥७७॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 18; मन्त्र » 77
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    Meaning -
    Lord of life and humanity, ever young, generous giver, listen to the voice and prayers of the people. Protect and promote humanity, and preserve the race with the breath of life.

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